उत्तर प्रदेशराजनीति

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह उप्र में तीन दिन में हल करेंगे तेरह मसले

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की भाजपा की राजनीति में शनिवार से सोमवार तक अगले तीन दिन गहमागहमी के हैं। वजह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह हैं जो पहली बार तीन दिवसीय प्रवास पर राजधानी आ रहे हैं। संगठन के शीर्ष नेतृत्व की निचली इकाई के कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद के लिहाज से तय की गई यह यात्रा कई मायने में महत्वपूर्ण है। दरअसल, 2014 में अमित शाह ने अपने कुशल प्रबंधन और नरेंद्र मोदी के ‘प्रताप से उत्तर प्रदेश के जरिए दिल्ली की सरकार के लिए जो राह बनाई, 2019 में उसे और अनुकूल बनाने के लिए वह न सिर्फ जनाकांक्षाओं की नब्ज टटोलेंगे बल्कि उन तेरह मसलों का समाधान भी देंगे जो इस बीच उभरकर सामने आए हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह उप्र में तीन दिन में हल करेंगे तेरह मसलेअमित शाह जिस दिन लखनऊ में होंगे, उस दिन प्रदेश सरकार के चार माह दस दिन पूरे हो चुके होंगे। शनिवार को संगठन के जिलाध्यक्षों से लेकर प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों से गुफ्तगू के बाद वह मंत्रिपरिषद से मुखातिब होंगे। सपा-बसपा के 15 वर्षों के कुशासन से मुक्ति और परिवर्तन के नारों के साथ भाजपा उप्र की जनता का दिल जीतने में जरूर कामयाब रही लेकिन, 325 विधायकों वाली सरकार को जनता की कसौटी पर खरा उतरने के लिए अमित शाह नई मुहिम शुरू कर सकते हैं।

संकल्प पत्र के अधिकांश वादों को पूरा करने का सरकार उपक्रम कर चुकी है। शाह सत्ता और संगठन में तालमेल के साथ सबकी जवाबदेही भी तय करने आ रहे हैं। उनका यह दौरा उस समय है जब सूबे में कोई चुनाव नहीं चल रहा है। वह यह संदेश देना चाहते हैं कि सिर्फ चुनावी मौसम में ही उन्हें जनता की सुधि नहीं है। हर समय भाजपा जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए खुद की समीक्षा को तैयार है। वह जनप्रतिनिधियों के लिए भी विकास और जनसमस्याओं के निस्तारण की राह बनाने आ रहे हैं। 

इन मसलों को तय करेगा शाह का दौरा
1. 2019 के चुनाव की तैयारी
2. संगठन के पेंच
3. अनुशासन की कसौटी
4. जनअपेक्षाओं का धरातल
5. सीएम-डिप्टी सीएम का चुनाव क्षेत्र
6. सहयोगी दलों की कडिय़ां
7. विपक्षी दलों की घेराबंदी
8. सत्ता-संगठन में सामंजस्य 
9. अफसरशाही को अनुकूल बनाना 
10. कानून व्यवस्था के मसले
11. वैचारिक प्रतिबद्धताओं का प्रसार
12. संकल्प पत्र से आगे की रणनीति 
13. बूथों पर मजबूत इकाइयां 

तैयार हो सकती योगी व केशव की चुनावी पटकथा 
19 सितंबर को योगी सरकार के छह माह पूरे होंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा के अलावा परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और राज्यमंत्री मोहसिन रजा विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य नहीं हैं। 19 सितंबर से पहले इन सबको दोनों सदनों में किसी का सदस्य बनना जरूरी है। सरकार और संगठन की ओर से इस दिशा में अभी तक कोई सार्वजनिक पहल नहीं हुई है। संभव है कि अंदरखाने सब कुछ तय हो गया होगा लेकिन सार्वजनिक रूप से कोई चुनावी माहौल नहीं बना है। संभव है कि अमित शाह सूबे की सरकार के मुखिया समेत पांच महत्वपूर्ण लोगों को सूबे के सदन में स्थान सुनिश्चित कराने के लिए कोई पटकथा तैयार करें। 

खीचेंगे अनुशासन की लक्ष्मण रेखा
प्रधानमंत्री के भोज में सांसदों ने उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों की शिकायत की। आबकारी मंत्री ने अपने गृह जिले सिद्धार्थनगर में बिजली आपूर्ति ठप हो जाने की शिकायत सार्वजनिक तौर पर की। विधानसभा में हमीरपुर के विधायक अशोक सिंह चंदेल ने दो टूक कहा कि सत्तापक्ष के विधायकों की हालत विपक्षी से भी बदतर हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष प्रदेश के कई विधायकों ने सीधे अफसरशाही की शिकायत दर्ज कराई। जाहिर है कि सरकार और संगठन के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। वर्चस्व को लेकर भी कुछ बातें सियासी गलियारों में महत्व पा रही हैं।

ऐसे में अमित शाह के लिए उत्तर प्रदेश जैसे 80 लोकसभा क्षेत्र वाले राज्य में अनुशासन का माहौल देना प्राथमिकता है। वह संगठन और सरकार के बीच सामंजस्य के साथ ही सबकी जवाबदेही तय करना चाहते हैं। इसलिए नौकरशाही से लेकर मंत्रिपरिषद, विधायक और संगठन के लिए लक्ष्मण रेखा खींची जानी तय है। पहले ही यह बात कही गई थी कि शिकायत और कोई मांग पार्टी फोरम में ही रखी जाएगी लेकिन, बहुत सी अंदर की बातें सार्वजनिक हुई हैं। सब कुछ दुरुस्त करने के लिए शाह कुल 25 बैठकें करेंगे। 

सहयोगी दलों के मंथन से भी बनेगा समीकरण
बिहार में भाजपा ने हारी हुई बाजी पलट दी है। पिछड़ों में लोकप्रिय नीतीश कुमार को साझीदार बनाकर भाजपा ने एक नया फार्मूला तैयार किया है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) की मुखिया अनुप्रिया पटेल उसी कुर्मी समाज से हैं, जिस समाज से नीतीश कुमार हैं। अनुप्रिया के समानांतर संगठन चला रही उनकी मां कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल नीतीश कुमार के साथ समीकरण बनाने की पहल कर चुकी हैं। नीतीश के राजग का अंग बनने के बाद अब गेंद अपना दल एस के पाले में हैं।

भाजपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और प्रदेश सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी पिछड़ों की ही राजनीति में सक्रिय हैं। अमित शाह अपने इन सहयोगी दलों के साथ भी मंथन करेंगे। अनुप्रिया 2014 के चुनाव में भाजपा गठबंधन में रहीं लेकिन, ओमप्रकाश राजभर विधानसभा चुनाव में साझीदार बने। 2019 की मुहिम पर भी इन संगठनों से समीकरण तय हो सकते हैं।

प्रबुद्धजन सम्मेलन से देंगे संदेश
संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने भाजपा अध्यक्ष के कार्यक्रम को व्यापक स्वरूप दिया है। रविवार को अमित शाह प्रबुद्धजन सम्मेलन में भाग लेंगे। इसकी जिम्मेदारी भाजपा के प्रदेश महामंत्री पंकज सिंह को सौंपी गई है। साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में होने वाले इस कार्यक्रम में सरकार के भी महत्वपूर्ण लोग शामिल होंगे। 

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