जगदलपुर: कहते हैं प्राकृतिक वादियों से भरा है छत्तीसगढ़। वाटर फॉल की बात करें तो यहां एक से बढ़कर एक जलप्रपात हैं। इन्हीं में एक खास है तीरथगढ़ वॉटर फॉल। करीब डेढ़ सौ फीट की ऊंचाई से यहां पानी गिरता है। खास बात ये है कि वाटर फॉल के ठीक सामने ऊंचाई पर एक मंदिर है। यहां तक लोग दर्शन करने जाते हैं। यहां से इस झरने का मनोरम दृश्य देखने से लोग नहीं चूकते हैं। जानिए कैसे विकराल रूप धारण कर लेता है वाटर फॉल…
– यूं तो यहां ऊंचाई से गिरते हुए हल्के दुधिया पानी को देख लोग एंजॉय करते हैं। यहां फोटो क्लिक कराते हैं और इन मनोरम वादियों का लुत्फ लेते हैं।
– वहीं बारिश के दिनों में यहां पानी कई बार अचानक बढ़ जाता है तो बेहद खतरनाक होता है।
– फिर यह वाटर फॉल विकराल रूप ले लेता है। कई बार यहां हादसा होते-होते टला है।
– एक बार यहां ६ लोग फंस गए थे। ये लोग 18घंटों तक फंसे रहे। वाटर फॉल के सामने स्थित मंदिर तक पानी आ गया था।
– ऐसे में बारिश के दिनों में यहां इस बात का ध्यान रखा जाता है। कई घंटे तक बारिश होने के बाद सैलानियों को यहां से हटा दिया जाता है।
– यूं तो यहां ऊंचाई से गिरते हुए हल्के दुधिया पानी को देख लोग एंजॉय करते हैं। यहां फोटो क्लिक कराते हैं और इन मनोरम वादियों का लुत्फ लेते हैं।
– वहीं बारिश के दिनों में यहां पानी कई बार अचानक बढ़ जाता है तो बेहद खतरनाक होता है।
– फिर यह वाटर फॉल विकराल रूप ले लेता है। कई बार यहां हादसा होते-होते टला है।
– एक बार यहां ६ लोग फंस गए थे। ये लोग 18घंटों तक फंसे रहे। वाटर फॉल के सामने स्थित मंदिर तक पानी आ गया था।
– ऐसे में बारिश के दिनों में यहां इस बात का ध्यान रखा जाता है। कई घंटे तक बारिश होने के बाद सैलानियों को यहां से हटा दिया जाता है।
जल्दी नहीं सूखता है यहां का पानी
– ऐसा माना जाता है कि यदि तीरथगढ़ झरने का पानी सूख गया तब राज्य में अकाल पड़ने वाला है।
– पानी के लिए त्राहि मचने वाली है। तीरथगढ़ जलप्रपात में पानी कांगेर और मुनगाबाहर नाले से आता है। ज्यादा गर्मी और पानी की भारी कमी होने के चलते यह झरना बिल्कुल हल्का हो जाता है।
यहां रहते हैं बंदर
– तीरथगढ़ में काफी बंदर देखने को मिलते हैं। यहां पानी और खाना दोनों उनके लिए सुलभ है।
– जंगल में फल-फूल के अलावा सैलानी उनके लिए चने और केला वगैरह लेकर आते हैं।
– ऐसे में यहां के बंदरों की मौज रहती है।