नेट-मीटर का पांच गुना गलत गणना कर भेज दिया बिजली का बिल
-डी.एन. वर्मा
लखनऊ। आज भारतवर्ष आधुनिक तकनीक में जहाँ विश्व में तेजी से अग्रणी होने का प्रयास कर रहा है और कई मुकाम पर विश्व में अपनी पहचान बना चुका है जैसे-एक साथ 104-सेट लाइट को कक्षा में स्थापित करना, चन्द्रमा पर पानी होने का पता लगाना, मंगलग्रह पर पहली बार में विश्व में सबसे कम खर्च पर पहुँचना। प्रधानमंत्री मोदी के वर्ष 2022 के मिशन में ‘सौर-ऊर्जा’ से एक लाख मेगावाट विद्युत आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है और सभी प्रदेशों में सौर ऊर्जा को स्थापित करने का अभियान चलाया जा रहा है । भारत सरकार व प्रदेश सरकार ने इस पर सब्सडी का प्राधान कर रखा है। विश्व व भारतवर्ष में ‘‘ग्लोबल-वार्मिंग’’ के कारण हो रहे, अप्रत्याशित घटनाओ पर कौन नहीं चिन्तित है चाहे मुम्बई में अभी आयी भयंकर बाढ़ अथवा टेक्सास (अमेरिका) में हार्वे तूफान जिससे जनमानस अस्त-व्यस्त हो गया है और अरबों का नुकसान हो चुका है। आइसवर्ग, जो 5800 वर्ग कि0मी0 का था, क्यो टूटा यह भी सभी को ज्ञात है और इसका दुष्प्रभाव भी पड़ना प्रारम्भ हो गया है। आज क्या कार्बन उत्सर्जन कम करना अत्यन्त आवश्यक नहीं है। विश्व में हमारे देश के प्रधान-मंत्री ने पेरिस समिति में 2 प्रतिशत कार्बन कम करने की अनुशंसा की जिसकी विश्व में सराहना हो रही है।
ऐसे अभियान में, उ0प्र0 विद्युत निगम, लखनऊ द्वारा उदासीनता बरतना कहां तक उ0प्र0 सरकार के विकास के अभियान में सहायक होगा, हमारे ऊर्जावान मुख्यमंत्री सम्भवतः इस पर ध्यान देंगे। आज जब एक तरफ कुछ बुद्धिजीवी लोग व कुछ संस्थाएं, ‘सौर ऊर्जा को अपने प्रयास से घरों की छतों पर लगाकर ‘‘ग्रीन ऊर्जा’’ का उपयोग कर रहे है और लोगों को भी जागृत कर रहे है। वही विगत दो-वर्षों में उ0प्र0 विद्युत निगम, ने कोई भी ‘नेट -मीटरिंग’ के बिलिंग अथवा उसकी कनेक्शन की विण्डों भी तैयार नहीं कर पायी है। ‘विद्युत-विभाग’ के इस प्रकार के उदासीन व्यवहार से लखनऊ के उत्साही निवासी ‘सौर-ऊर्जा’ को स्थापित करने में अब असमंजस की स्थिति में आते जा रहे हैं।
अभी दो दिन पूर्व (31 अगस्त 2017) को जानकारी में आया है कि स्कूल आफ मैनेजमेण्ट कालेज लखनऊ के महानिदेशक व वरिष्ठ पर्यावरणविद, डा0 भरत राज सिंह, जो ‘सौर-ऊर्जा’ के प्रचार-प्रसार और लोगों को जागृत करने में अथक प्रयास कर रहे है तथा अपने घर पर लखनऊ में 5-किलोवाट का पहला सौर ऊर्जा प्लान्ट भी लगवाया है, ने बताया कि उनका एक माह का विद्युत बिल रु0 45,899.97 भेजा गया है, जबकि ‘नेट-मीटर की बिल गणना करने वाले ने 1299 यूनिट के स्थान पर दो-वर्षों की कुल विद्युत खर्च में से पिछले माह की ‘नेट-विद्युत खर्च’ को घटाकर 6801 यूनिट का एक माह का विद्युत बिल भेज दिया है। यद्यपि उन्होंने इस पर विद्युत निगम के वरिष्ठ अधिकारियों से बात भी की है परन्तु अभी तक बिल ठीक करने की कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गयी है। अतः वे न्याय की मांग कर रहे हैं और दोषियाों पर कठोर कार्यवाही चाहते हैं।