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ब्रिक्स से क्या प्रधानमंत्री मोदी चीन को चिढ़ाकर लौटेंगे ?

चीन चाहता है कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा न छेड़ें, जबकि प्रधानमंत्री लगातार हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद और खासकर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का जिक्र करते आए हैं। खास बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी डोकलाम पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच 72 दिनों तक जारी गतिरोध के खत्म होने के बाद चीन के दौरे पर हैं। ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि चीन के श्योमोन शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा छेडक़र वो उसे चिढ़ाकर लौटेंगे?
चीन के श्योमोन शहर में पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चार सितंबर को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। प्रधानमंत्री वहां पांच सितंबर तक रहेंगे और इसी दिन म्यांमार के लिए रवाना हो जाएंगे। करीब 12 मिनिस्ट्रियल मीटिंग में हिस्सा लेने के साथ प्रधानमंत्री शिखर सम्मेलन में अपनी बात रखेंगे।

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ब्रिक्स से क्या प्रधानमंत्री मोदी चीन को चिढ़ाकर लौटेंगे ?इसी दौरान वह आतंकवाद के मुद्दे पर चीन का नाम लिए बिना उसे आतंकवाद को सह देने वाले पाकिस्तान पर हमला बोलकर नसीहत दे सकते हैं। हालांकि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार भी इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कह पा रहे हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संबोधन में क्या कहेंगे, यह उनकी स्वतंत्रता और अधिकार है।

इस बारे में हम क्या कह सकते हैं। वहीं प्रधानमंत्री चीन दौरे पर रवाना होने के ऐन क्षण पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने आतंकवाद को अहम मसला बताया है। माना यह जा रहा है कि भारत पाकिस्तान से प्रायोजित आतंकवाद को पिछले कई दशक से झेल रहा है।

रूस  कर सकता है समर्थन

भारत का नब्बे के दशक से मुख्य वांछित अपराधी दाऊद इब्राहिम कास्कर भी पाकिस्तान में है। जैश-ए-मोहम्मद का सरगना और पठानकोट एयरबेस हमले हमले का मुख्य सूत्रधार आतंकी मौलाना मसूद अजहर भी पाकिस्तान में है। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले का मुख्य सूत्रधार और लश्करे तोइबा का मुखिया हाफिज मोहम्मद सईद भी पाकिस्तान से भारत में लगातार आतंकवाद को सह दे रहा है। इन सभी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई मदद देती है। इसलिए भारत कई दशक से झेल रहे आतंकवाद पर अपनी चिंता को अवश्य जाहिर करेगा।

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रूस  कर सकता है समर्थन

इसके पूरे कयास हैं कि भारत के प्रधानमंत्री द्वारा आतंकवाद का मुद्दा उठाए जाने के बाद रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन मोदी का समर्थन कर सकते हैं। भारतीय कूटनीतिक गलियारे के सूत्रों का कहना है कि आतंकवाद के मुद्दे पर रूस ने हमेशा स्पष्ट रवैय्या अपनाया है। मास्को ने हमेशा इसका विरोध किया है। ऐसा माना जा रहा है कि पुतिन पाकिस्तान को आतंकवाद को सह देने के मामले में सख्त सलाह दे सकते हैं।

संयुक्त घोषणा पत्र होगा अहम
भारत चाहेगा कि ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन के बाद जारी होने वाले घोषणा पत्र में उसकी चिंताओं को स्थान मिले। भारत की मूल चिंता आतंकवाद ही है। हालांकि चीन के लिए संयुक्त घोषणा पत्र में भारत की चिंता को समाहित करना थोड़ा मुश्किल भरा होगा। इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है कि  संयुक्त घोषणा पत्र में भारत हर हाल में चाहेगा कि उसकी चिंताओं को स्थान मिलेगा। हालांकि संयुक्त घोषणा पत्र का मसौदा शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी दलों की सहमति से तैयार होता है।

 

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