मुलायम ने 21 सितंबर को बुलाई बड़ी बैठक, होने को है कोई बड़ा सियासी फैसला
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से तीन दिन पहले इस बाबत सवाल किया गया तो उन्होंने टाल दिया। सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में 5 अक्तूबर को उन्हें दूसरी बार सपा अध्यक्ष चुन लिया जाएगा। ऐसे में सपा में मुलायम व शिवपाल के लिए कोई जगह नहीं रहेगी।
सपा के सम्मेलन भी एक दिवसीय हैं। मुलायम के नजदीकी लोगों का कहना है कि एक दिन में पार्टी की राजनीतिक लाइन, आर्थिक व राजनीतिक प्रस्तावों पर चर्चा नहीं हो पाएगी। वे सम्मेलन को वैचारिक विमर्श के प्लेटफार्म के बजाय अध्यक्ष के चुनाव का जरिया बता रहे हैं।
सपा के प्रदेश सम्मेलन से दो दिन पहले मुलायम सिंह ने लोहिया ट्रस्ट की बैठक बुलाई है। यूं तो ट्रस्ट की बैठक में रूटीन के मसलों पर चर्चा होती है लेकिन माना जा रहा है कि मुलायम सिंह इस बैठक में कोई अहम राजनीतिक फैसला कर सकते हैं।
इसके बैनर तले मुलायम सिंह के लोग अपनी सक्रियता बरकरार रख सकते हैं। मुलायम पहले ही लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन का विरोध कर चुके हैं जबकि अखिलेश गठबंधन की तरफ बढ़ रहे हैं। राष्ट्रपति के चुनाव समेत कई मौकों पर उनकी राय अलग-अलग रही है। इसलिए भी माना जा रहा है कि अब पिता-पुत्र के राजनीतिक रास्ते भी अलग-अलग होंगे।
ट्रस्ट में मुलायम के नजदीकियों का बहुमत
लोहिया ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी मुलायम सिंह और ट्रस्टी सचिव रामगोपाल यादव हैं। इसके अलावा 11 ट्रस्टी हैं। इनमें अखिलेश यादव और बलराम यादव भी हैं। अन्य ट्रस्टी शिवपाल सिंह यादव, आजम खां, भगवती सिंह, दीपक मिश्रा, जगपाल सिंह, रामसेवक यादव, रामनरेश यादव और राजेश यादव हैं।
ये सभी मुलायम के नजदीकी माने जाते हैं। ट्रस्ट की पिछली बैठक में अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव नहीं आए थे। इस बार भी उनके आने की संभावना नहीं है।