स्टेट काउंसलर ने तोड़ी रोहिंग्या मुसलमानों पर चुप्पी, बोलीं- नतीजा क्या हुआ सभी जानते हैं, हम डरते नहीं…
संयुक्त राष्ट्र: दुनियाभर में रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर उठ रहे सवालों के बीच संयुक्त राष्ट्र की बैठक में म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची ने कहा है कि हम अंतरराष्ट्रीय दबाव में नहीं आएंगे, अराकान के रोहिंग्या ने देश में आतंकी हमले करवाए. रोहिंग्या आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं. हमारे सुरक्षाबल हर तरह की आतंकी गतिविधियों से निपटने में सक्षम हैं. सू ची ने कहा कि रोहिंग्या को म्यांमार के लोगों ने संरक्षण दिया और नतीजा क्या हुआ सब जानते हैं. हम आलोचनाओं से नहीं डरते. हालांकि सरकार शांति की ओर बढ़ने के लिए हर संभव कदम उठा रही है. हमने रखाइन स्टेट में शांति स्थापित करने के लिए केंद्रीय कमेटी बनाई है. हम इस क्षेत्र में शांति और विकास के लिए काम करते रहेंगे.
गौरतलब है कि म्यांमार से बड़ी तादाद में खदेड़े जा रहे रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश में शरण लेने पहुंचे हैं. खाने के सामान और राहत सामग्री की यहां भारी कमी है. इन हालात में बच्चे और बूढ़े सबसे ज़्यादा परेशान हैं. इन्होंने बांग्लादेश के शामलापुर और कॉक्स बाज़ार में शरण ली हैं. शरणार्थी शिविरों में ही बच्चों को औरतें जन्म दे रही हैं. बांग्लादेश में इनकी जान बची हुई है, लेकिन मुसीबतों की कमी नहीं है.
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कई मानवाधिकार संगठन भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि इन शरणार्थियों को देश में ही रहने दिया जाए वहीं सरकार का मानना है कि रोहिंग्या मुसलमान अवैध प्रवासी हैं और इसलिए कानून के मुताबिक उन्हें बाहर किया जाना चाहिए. गृह मंत्रालय कह चुका है कि वह रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण नहीं देगा, बल्कि उन्हें वापस लौटा देगा. इसके साथ ही भारत-म्यांमार सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है. सीमा पर सरकार ने रेड अलर्ट जारी किया है
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क्या है विवाद
रोहिंग्या समुदाय 12वीं सदी के शुरुआती दशक में म्यांमार के रखाइन इलाके में आकर बस तो गया, लेकिन स्थानीय बौद्ध बहुसंख्यक समुदाय ने उन्हें आज तक नहीं अपनाया है. 2012 में रखाइन में कुछ सुरक्षाकर्मियों की हत्या के बाद रोहिंग्या और सुरक्षाकर्मियों के बीच व्यापक हिंसा भड़क गई. तब से म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ हिंसा जारी है. रोहिंग्या और म्यांमार के सुरक्षा बल एक-दूसरे पर अत्याचार करने का आरोप लगा रहे हैं. ताजा मामला 25 अगस्त को हुआ, जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों ने पुलिस वालों पर हमला कर दिया. इस लड़ाई में कई पुलिस वाले घायल हुए, इस हिंसा से म्यांमार के हालात और भी खराब हो गए.