अब इन नई शर्तों के चलते आधे रह गये मदरसों में छात्रवृति के आवेदन
साथ ही पिछली कक्षाओं में उनके न्यूनतम 50 फीसदी अंक होने चाहिए। वहीं, केंद्रीय छात्रवृत्ति के लिए 70 फीसदी से अधिक अंक पाने वाले युवा ही आवेदन कर सकते हैं।
अब तक अभिभावक स्वप्रमाणित आय प्रमाणपत्र देते थे। इसी के आधार पर मदरसों में पढ़ने वाले छात्र स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर देते थे। लेकिन इस बार सरकार ने तहसील से बना आय प्रमाण पत्र जरूरी कर दिया है। नतीजा यह हुआ कि मदरसों में पढ़ने वाले छात्र आवेदन ही नहीं कर रहे हैं।
लखनऊ में ही प्री-मैट्रिक व पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए पिछले वर्ष 6000 से अधिक आवेदन आए थे।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी बालेंदु कुमार द्विवेदी ने बताया कि इस बार मात्र 2319 आवेदन ही आए हैं। मदरसा प्रबंधकों व प्रधानाचार्यों को पात्र सभी छात्र-छात्राओं का स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करवाने के निर्देश दिए गए हैं।
वाराणसी हो या बलरामपुर या फिर मऊ या हो बिजनौर सभी जिलों के मदरसों से स्कॉलशिप के लिए लक्ष्य के एक चौथाई आवेदन भी नहीं आए हैं। इस पर सरकार ने भी चिंता जताई है।
विशेष सचिव अल्पसंख्यक कल्याण ने पिछले दिनों सभी जिलों को लक्ष्य में वृद्धि करने के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है।
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इस कारण भी मदरसा प्रबंधक स्कॉलरशिप के लिए कम आवेदन करवा रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं गड़बड़ हुई तो इसका असर मदरसे की मान्यता व अनुदान पर पड़ेगा।