आर.टी.ई. एक्ट का पालन न करने वाले निजी स्कूलों को किया जायेगा दंडित
लखनऊ : अभी तक कई गैर-सरकारी संस्थायें सिटी मोन्टेसरी स्कूल पर शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीब बच्चों का दाखिला न लेने का आरोप लगाकर इस विख्यात शिक्षण संस्थान की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास करती रहीं है। इन गैर-सरकारी संस्थाओं ने जो तथ्य बड़ी ही आसानी से नजर अंदाज कर दिया है वो यह है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अन्तर्गत यदि कोई निजी स्कूल किसी भी स्तर पर तथ्यों को छुपाकर अथवा मिथ्या दावे के आधार पर अधिनियम की धारा 12(1)(ग) के अन्तर्गत दुर्बल वर्ग एवं अलाभित समूह के बच्चों का दाखिला लेकर उनकी फीस की प्रतिपूर्ति लेता है तो ऐसे में वह निजी स्कूल उत्तर प्रदेश शिक्षा के अधिकार अधिनियम नियमावली 2011 के नियम 8(6) के तहत तीन प्रकार के दण्ड का भागीदार हो जायेगा, जो कि इस प्रकार है:-
1. उस विद्यालय की मान्यता वापस ली जायेगी।
2. विद्यालय से प्रतिपूर्ति के लिए ली गई धनराशि की दुगुनी धनराशि वसूल की जायेगी। प्रतिपूर्ति की धनराशि की वसूली के अभाव में विद्यालय की सम्पत्ति नीलाम की जायेगी तथा
3. भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत कार्यवाही की जायेगी अर्थात स्कूल प्रबंधक को जेल भेजा जायेगा।
सीएमएस संस्थापक डा जगदीश गाँधी ने स्कूल के मुख्यालय पर एक वार्ता में बताया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसार दुर्बल वर्ग एवं अलाभित समूह के बच्चों को निजी स्कूलों में धारा 12(1)(ग) के तहत 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश देने हेतु पात्रता की जो 5 शर्तें निर्धारित की गई हैं, वे इस प्रकार हैंः-
1. उत्तर प्रदेश आर.टी.ई. नियमावली 2011 का नियम 4 (1) व नियम 7(3) के अनुसार बच्चे का आवास दाखिले हेतु चयनित विद्यालय से 1 किलोमीटर की दूरी के अंदर ही होना चाहिए।
2. शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 2(ग) के अनुसार बच्चे की उम्र 6 से 14 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
3. शिक्षा अनुभाग-5 द्वारा जारी शासनादेश संख्या-3087(1)/79-5-2012-29/09 टी.सी.-11 दिनाँक 3 दिसम्बर, 2012 के प्रस्तर 2 (पप) के अनुसार बच्चे के परिवार की कुल वार्षिक आय 1 लाख रूपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
4. शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 5(1), धारा 8 (क), व ‘‘उद्देश्यों एवं कारणों का कथन’’ के पैरा 3(सी) के अनुसार यदि बच्चा पहले से ही किसी प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहा है तो उसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निःशुल्क दाखिला निजी असहायतित स्कूल में नहीं दिया जा सकता है।
5. शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत बच्चे को प्रवेश उसके निवास स्थान के सबसे पड़ोस (निकटतम) वाले विद्यालय में ही दिया जाना है।
इस प्रकार यदि कोई भी निजी स्कूल ऊपर दी गई 5 शर्तों में से किसी भी 1 या 1 से अधिक शर्त को पूरा ना करने वाले बच्चे का दाखिला लेता है, उसकी फीस की प्रतिपूर्ति प्राप्त करता है तो ऐसे में उस विद्यालय पर उत्तर प्रदेश निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा के अधिकार नियमावली 2011 की उपरोक्त धारा 8(6) के तहत दण्ड की कार्यवाही की जायेगी।