राष्ट्रीय

‘सर्जिकल स्‍ट्राइक’ के वे 4 घंटे, जिसमे निपटा दिए गए देश के 40 दुश्‍मन

साल भर पहले 28-29 सितंबर की रात को ही हिंदुस्तान ने दुनिया को बता दिया था कि वो दुश्‍मन को उसके घर में घुसकर मारने की कूवत रखता है. भारत ने यह बता दिया था कि देश की तरफ आंख उठाकर देखने वाले दुश्‍मनों को बख्‍शा नहीं जाएगा. इस घटना के कुछ दिनों पहले उरी हमले में 19 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद ही भारत ने कायरों की तरह हमला करने वाले आतंकियों को सबक सिखाने का मन बना लिया. भारत के जांबाज सैनिकों ने एलओसी के पार जाकर आतंकियों के ठिकानों को तहस-नहस कर दिया.

भारत के इस साहस को दुनिया ने सलाम किया था. सर्जिकल स्ट्राइक के खुलासे के बाद अमेरिका ने भारत को भी अपना समर्थन दोहराते हुए जोर दिया था कि पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ना चाहिए. आइए जानते हैं कि कैसे चला था पूरा ऑपरेशन…

कमांडोज को सुनसान जगह उतारा गया

वक्त रात के बारह बजे. पुंछ से एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर ध्रुव पर 4 और 9 पैरा के 25 कमांडो सवार होकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में दाखिल हुए. नियंत्रण रेखा के पार हेलिकॉप्टर ने इन जवानों को एक सुनसान जगह उतार दिया. हर जगह खतरा था. पाकिस्तानी सेना की फायरिंग की आशंका के बीच इन कमांडोज ने तकरीबन तीन किलोमीटर का फासला रेंग कर तय किया. देश में तबाही मचाने के लिये यहां आतंकियों के लॉन्च पैड्स भिंबर, केल, तत्तापानी और लीपा इलाकों में स्थित थे.

PAK सेना को नहीं लगी खबर

पाकिस्तानी सेना को भारत के इस कदम का कोई आभास नहीं हुआ. हमले से पहले आतंकियों के लॉन्चिंग पैड्स पर खुफिया एजेंसियां एक हफ्ते से नजर रखे हुए थीं. रॉ और मिलिट्री इंटेलिजेंस पूरी मुस्तैदी से आतंकवादियों की एक-एक हरकत पर नजर रखे हुए थी. सेना ने हमला करने के लिए कुल छह कैंपों का लक्ष्य रखा था. हमले के दौरान इनमें से तीन कैंपों को पूरी तरह तबाह कर दिया. कमांडोज तवोर और एम-4 जैसी राइफलों, ग्रेनेड्स, स्मोक ग्रेनेड्स से लैस थे. साथ ही उनके पास अंडर बैरल ग्रेनेड लॉंचर, रात में देखने के लिए नाइट विजन डिवाइसेज और हेलमेट माउंटेड कैमरा भी थे.

आतंकियों पर ग्रेनेड से हमला

पलक झपकते ही कमांडोज ने आतंकियों पर ग्रेनेड से हमला किया. अफरा-तफरी फैलते ही स्मोक ग्रेनेड के साथ ताबड़तोड़ फायरिंग की. फिर क्या था, देखते ही देखते 38 आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया. हमले में पाकिस्तानी सेना के दो जवान भी मारे गए. साथ ही इस ऑपरेशन में हमारे दो पैरा कमांडोज भी लैंड माइंस की चपेट में आने के कारण घायल हुए.

चार घंटे चला ऑपरेशन

रात साढ़े बारह बजे शुरू हुए इस ऑपरेशन को साढ़े चार बजे तक खत्म कर लिया गया. दिल्ली में इस ऑपरेशन की तैयारी सेना मुख्यालय में रात आठ बजे से ही हो गई थी. राजधानी में शाम को कोस्टगार्ड कमांडर कॉफ्रेंस का डिनर रखा गया था, जिसमें तत्‍कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, एनएसए अजित डोभाल और तत्‍कालीन सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग को जाना था. इस डिनर में जाने की बजाय यह तीनों रात आठ बजे सीधे सेना मुख्यालय में मौजूद वॉर रूम में पहुंच गए. सेना प्रमुख दलबीर सुहाग ने इस ऑपरेशन की तारीफ करते हुए कहा है कि सेना ने अपने वादे का पालन किया है और चुनी हुई जगह और समय पर इसका जवाब दिया है.

रक्षा मंत्री और NSA ने की ऑपरेशन की मॉनिटरिंग

पूरे ऑपरेशन के दौरान रात में तत्‍कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ऑपरेशन की निगरानी करते रहे. इस दौरान ऑपरेशन की जानकारी लगातार प्रधानमंत्री मोदी को भी दी जा रही थी. अजित डोभाल ने रात ही में अपनी अमेरिकी समकक्ष सूसन राइस से भी बातचीत कर उनको भरोसे में लिया.

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