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केंद्र सरकार के ऐजेंडे में पृथक बुन्देलखण्ड राज्य का निर्माण नहीं -अनुप्रिया पटेल

महोबा। बुन्देलखण्ड के लोगों की वर्षों पुरानी मांग पृथक बुन्देलखण्ड राज्य का निर्माण न तो केंद्र सरकार की प्राथमिकता में है न ही उसके ऐजेंडे में। केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकारें यहां के विकास को पूरी प्राथमिकता दे रहीं है। इस कारण अब इस मांग का कोई औचित्य भी नहीं रह जाता। यह कहना है केंद्र सरकार की अपना दल कोटे की मंत्री अनुप्रिया पटेल का। वह बुधवार को खजेराहों जाते हुए कुछ देर के लिए महोबा में रुकी थीं। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के जिले से गुजरने की खबर मिलते ही सैकड़ों भाजपाइयों व अपना दल कार्यकर्ताओं ने रास्ते में उन्हें रोक कर जोरदार स्वागत किया। पार्टी कार्यकर्ताओं व विधायक के आग्रह पर वह कुछ देर के लिए सिंचाई विभाग के विश्राम गृह में रुकीं व मीडिया से मुखातिब हुईं। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में पूर्व में रही समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी की सरकारों की गलत नीतियों के कारण स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गईं थीं। जनता को सरकार की ज्यादातर योजनाओं का लाभ मिल ही नहीं पा रहा था।

उन्होंने दावा किया कि अब प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार न केवल हर क्षेत्र में बेहतर काम कर रही है बल्कि स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव दिखने लगा है। जब मीडियाकर्मियों ने कहा कि महोबा में तो ऐसा कुछ भी नहीं दिख रहा। जिला अस्पताल पहले की तरह डाक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है और विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में जिला अस्पताल रेफर सेंटर बन कर रह गया है। इस पर केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जल्द ही यहां भी गुणात्मक सुधार दिखेगा। केंद्र सरकार की योजनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि हर राज्य में एम्स खोले जाएं इस दिशा में प्रयास भी शुरु कर दिया गया है उत्तर प्रदेश में तो एक नहीं तीन तीन एम्स खोले जाने की योजना है। बुन्देलखण्ड पृथक राज्य बनाने के बारे में सवाल किए जाने पर अनुप्रिया बोलीं इस तरह का कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार में विचाराधीन नहीं है और न ही यह बात केंद्र की प्राथमिकता अथवा ऐजेंडे में है। अपनी बात पर जोर देते हुए वह बोलीं कि इसकी आवश्यकता तो तब थी जब सरकारें यहां के विकास को नजरंदाज कर रहीं थी। अब योगी व मोदी जी की सरकार बुंदेलखंड के विकास को शीर्ष प्राथमिकता दे रही हैं। ऐसे में इस मांग का अब कोई औचित्य भी नहीं रह गया है।

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