कुछ इस तरह आरुषि के नाना ने सुनाई इन 9 सालों की कहानी, इस बार मनाएंगे दिवाली
नोएडा. राजेश और नूपुर तलवार के इलाहाबाद हाईकोर्ट से बरी होने पर आरुषि के नाना-नानी खुश हैं। बातचीत में उन्होंने बताया, नातिन (आरुषि) की मौत के बाद शोक मनाने का भी समय नहीं मिला। 9 साल से एक त्योहार नहीं मनाया। लेकिन इस बार फैमिली के साथ दीपावली सेलीब्रेशन होगा। बस एक गम हमेशा रहेगा कि आरुषि के कातिल अब तक कानून की गिरफ्त से दूर है।
आरुषि के नाना ने कहा- नातिन का असली कातिल कौन?
– नाना रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन बीडी चिटनेस ने बताया, ”इतने संघर्ष के बाद शायद राजेश और नूपुर शायद ही दोबारा नोएडा आएं। वो दिल्ली में हौजखास स्थित मकान में अपने भाई के साथ रहेंगे।”
– ”जेल में इतना लंबा सिर्फ समय आरूषि की याद में बिता देना अपने आप में ही एक संघर्ष है। हमें न्यायपालिका पर शुरू से भरोसा था, जिसका परिणाम अब सामने आया।”
– भावुक होते हुए कहते हैं, ”जांच एजेंसियों की सुई सिर्फ नूपुर और राजेश पर ही टिकी रही। लेकिन असली कातिल कौन है? इसके बारे में अब भी किसी को नहीं पता। यह जानना और उसका पकड़ा जाना बहुत जरूरी है। जब तक उसका कातिल पकड़ा नहीं जाता, तब तक आरुषि का इंसाफ अधूरा ही रहेगा।”
– ”नोएडा पुलिस और CBI दोनों टीमों ने नूपुर और राजेश को दोषी माना। इंवेस्टिगेशन, जांच एजेंसी और मीडिया ने इस तरह से उलझाया कि अब हम चैन से रहना चाहते हैं। बच्चे घर वापस आ जाएं, उसके बाद आगे के बारे में सोचा जाएगा।”
– बेटी दामाद के जेल जाने के बाद ऐसा लगा कि मेरा परिवार ही खत्म हो गया। लेकिन अब बेटी वापस आ रही है। आरुषि की कमी को तो पूरा नहीं किया जा सकता, लेकिन हमारी कोशिश रहेगी की बेटी-दामाद को उसकी कमी महसूस न हो।
– जिस मकान में आरुषि की हत्या हुई, उसे किराए पर दिया गया है। वहां लौटने का मतलब नहीं बनता।
आरुषि केस: कब-कब क्या हुआ
– 16 मई, 2008 :आरुषि तलवार की डेड बॉडी घर में मिली।
– 18 मई 2008: जांच में यूपी एसटीएफ को भी लगाया गया। पुलिस ने कहा कि दोनों मर्डर बेहद सफाई से किए गए। साथ ही, पुलिस ने माना कि मर्डर में परिवार से जुड़े किसी शख्स का हाथ है।
– 19 मई, 2008:तलवार परिवार के पूर्व घरेलू नौकर विष्णु शर्मा पर भी पुलिस ने शक जाहिर किया।
– 21 मई, 2008: यूपी पुलिस के साथ ही दिल्ली पुलिस भी जांच में शामिल हुई।
– 22 मई, 2008: आरुषि की हत्या के ऑनर किलिंग होने का शक पुलिस ने जाहिर किया। इस पहलू से भी जांच शुरू की गई। पुलिस ने आरुषि के लगातार संपर्क में रहे एक नजदीकी दोस्त से भी पूछताछ की। इस दोस्त से आरुषि ने 45 दिनों में 688 बार फोन पर बात की थी।
– 23 मई, 2008 : पुलिस ने डॉ. राजेश तलवार को मर्डर के आरोप में अरेस्ट किया।
– 29 मई, 2008: जांच सीबीआई के हवाले।
– 01 जून, 2008 : सीबीआई ने जांच शुरू की।
– 03 जून, 2008: कम्पाउंडर कृष्णा को पूछताछ के लिए सीबीआई ने हिरासत में लिया।
– 27 जून, 2008 : नौकर राजकुमार को अरेस्ट किया गया।
– 12 जुलाई, 2008 : नौकर विजय मंडल अरेस्ट डॉ. तलवार को जमानत मिली।
– 29 दिसंबर, 2010:सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट लगाई। गाजियाबाद कोर्ट ने नौकरों को क्लीन चिट दी, लेकिन पेरेंट्स के रोल पर सवाल उठाए।– 09 फरवरी, 2011:मामले में तलवार दंपती बने आरोपी।
– 21 फरवरी, 2011: दंपती ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से अपील की। हाईकोर्ट ने अपील खारिज कर दी और ट्रायल कोर्ट को इनके खिलाफ सुनवाई शुरू करने के आदेश दिए।
– 19 मार्च, 2011: सुप्रीम कोर्ट गए। वहां भी राहत नहीं मिली।
– 11 जून, 2012:सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। इस मामले की सुनवाई जस्टिस एस लाल ने की।
– 26 नवंबर, 2013 : नूपुर और राजेश तलवार को उम्रकैद की सजा। जस्टिस एस लाल ने 208 पेज का जजमेंट सुनाया था।