ऋषिकेश: नोबल शान्ति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में शुरू हुई ’भारत यात्रा’ जिसका उद्देश्य ’सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत’ है यह यात्रा आज परमार्थ निकेतन पहुंची। परमार्थ गुरुकुल के ऋषिकुमारों ने सभी का भव्य स्वागत किया। कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में भारतयात्रा के सदस्यों ने परमार्थ निकेतन के चिदानन्द सरस्वती से भेंट की। परमार्थ निकेतन के सभागार में ’सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत’ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें भारत यात्रा के सदस्यों एवं अनेक देशों से आये योग जिज्ञासुओं, साधकों एवं पर्यटको ने शिरकत की। सभा का शुभारम्भ स्वामी, कैलाश सत्यार्थी एवं अन्य गणमान्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। कैलाश सत्यार्थी ने ’भारत यात्रा’ के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि यह ऐतिहासिक देशव्यापी जागरूकता अभियान है जिसका शुभारम्भ 11 सितम्बर को विवेकानन्द रॉक मेमोरियल, कन्याकुमारी से हुआ था तथा इसकी पूर्णाहुति 16 अक्टूबर को नई दिल्ली में होगी। यह जागरूकता यात्रा देश के 22 राज्यों एवं 2 केन्द्र शासित प्रदेशों का सफर तय कर तीर्थनगरी ऋषिकेश में मां गंगा के दर्शन एवं चिदानन्द सरस्वती के आशीर्वाद से अनुग्रहित होने हेतु आयी है।
उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि परमार्थ निकेतन गंगा तट पर होने वालेे कार्यक्रमों के माध्यम से ’सुरक्षित बचपन’ का संदेश विश्व के अधिक से अधिक देशों तक पहुंचाना है। सत्यार्थी ने बताया की भारत यात्रा के माध्यम से हम जनता को बाल अधिकार, बाल यौन शोषण, दुर्व्यवहार, बाल तस्करी के खिलाफ जागरूक करने एवं बच्चोें की सुरक्षा एवं न्याय को सुनिश्चित करने के लिये सभी मिलकर महत्वपूर्ण कदम उठाना चाहते है ताकि बच्चों को सुरक्षित बचपन एवं उनके अधिकार प्राप्त हो सके। उन्होने स्वामी जी से आग्रह किया कि जिस प्रकार उन्होने पर्यावरण एवं नदियों के संरक्षण के लिये विश्व में अलख जगाया है उसी तरह वे ’सुरक्षित बचपन’ अभियान को भी अपना आशीर्वाद प्रदानकियाा।
ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के सह-संस्थापक चिदानन्दने कहा कि आज मुझे वारेन बफेट की एक बात याद आ रही है ’यदि आप मानवता के सर्वाधिक भाग्यशाली एक प्रतिशत लोगो में शामिल हैं तो आप इसे मानवता का वरदान मानते हुये शेष 99 प्रतिशत लोगों के बारे में सोचें।’ आज हमारा बच्चा हमारे पास सुरक्षित है तो हम इस ओर क्यों सोचें? ’जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि ’भारत में बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सुरक्षा से सम्बंधित आंकड़े संतोषजनक नहीं है। बच्चे किसी भी देश की नींव होते हैं, मजबूत नींव पर ही देश का अस्तित्व टीका रह सकता है। भारत के बच्चे शंकराचार्य, विवेकानन्द, गांधी और बुद्ध तभी बन सकते है जब वे सुरक्षित एवं भयमुक्त समाज में पोषित हो। अतः सर्वप्रथम सब मिलकर इस असुरक्षा को देश से, दिलों से बाहर निकालने के लिये एकजूट होकर प्रयास करे।