इस बार दीपावली में महालक्ष्मी के पूजन में शनि और केतु का दान लग रहा है। इसलिए घर की सुख और समृद्धि के लिए मुखिया परेवा के दिन अनाज और तेल का दान करें। तभी महालक्ष्मी का पूजन पूरा होगा। दान सामर्थ्य के अनुसार ही करें। ऐसा करने पर घर में महालक्ष्मी की कृपा बरसेगी।
कानपुरः पंडित के ए दुबे पद्मेश ने बताया कि दीपावली मूलत: यमराज का पर्व है। 5 दिन का यह यम पर्व कहलाता है। मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के लिए देव और असुरों ने समुद्र मंथन किया। उसमें 14 रत्न निकले। जिसमें विष और अमृत, रंभा और महालक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ।
धनतेरस, नरक चतुर्दशी के बाद तीसरे दिन का पर्व दीपावली है। इसमें प्रदोष काल में दीप और महालक्ष्मी के पूजन का विधान है। इस बार प्रदोष काल शाम 5:27 से रात 7:58 बजे तक है। वृष लग्न स्थिर लग्न मानी जाती है। वृष लग्न का मुहूर्त शाम 6:55 से रात 8:51 बजे तक है। वृष लग्न और प्रदोष काल में पूजन का विधान है। इसमें बसना पूजन, संस्थान में पूजन और घर में पूजन विशेष रूप से होता है। जो लोग साधक हैं उन्हें महानिशीथकाल में पूजन करना होता है।
रात 11:17 से रात 12:07 बजे तक महानिशीथकाल है। दूसरा सिंह लग्न में भी पूजन कर सकते हैं। सिंह लग्न रात 1:23 से सुबह 4:37 बजे तक है। इस काल खंड में भी जप और पूजन किया जाता है।
पंडित विधुशेखर पांडेय ने बताया कि कुछ लोग चौघड़िया के आधार पर पूजन करते हैं। अमृतचर चौघड़िया शाम 5:27 से 8:35 बजे तक है। लाभ की चौघड़िया रात 11:43 से रात 1:17 बजे तक है। प्राचीन काल में गणपति और महालक्ष्मी के साथ कुबेर और यमराज का पूजन होता था। इस वर्ष दीपावली में केतु और शनि का दान लग रहा है। पूजन के बाद अगले दिन यानी प्रतिपदा को घर के मुखिया को अनाज और तेल का दान करना चाहिए।