बुधवार को यहां एक प्रेस कांफ्रेंस में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह ऐलान किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह गुजरात के दौरे पर हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण ऐलान करने का जिम्मा उन्हें दिया गया है।
नोटबंदी पर कांग्रेस की समझ पर सवाल उठाते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस विषय के अधूरे ज्ञान के कारण ही यह पार्टी मोदी सरकार का बेवजह विरोध कर रही है।
दरअसल, नोटबंदी से पहले जिन लोगों के पास आय के ज्ञात स्रोतों से ज्यादा संपत्ति थी और जो काले धन को सफेद बनाने का काम कर रहे थे, उनकी पहचान मुश्किल थी, लेकिन अब जबकि सारी पुरानी करेंसी बैंकों में जमा हो गई है, ऐसे लोगों को पृथक करना आसान हो गया है।
यही नहीं, जिनकी आमदनी और जमाओं के बीच गड़बड़ी पाई जा रही है, उन्हें आयकर विभाग की ओर से नोटिस भेजा जा रहा है और अनियमितता साबित होने पर उनसे टैक्स की वसूली भी की जा रही है।
बैंकों को किया खोखला
वर्ष 2008-12 के बीच यूपीए शासनकाल में अंधाधुंध तरीके से कर्ज बांटे गए और बैंकों को खोखला कर दिया गया। इसे छुपाने के लिए तमाम तरीके अपनाए गए और देश व दुनिया की आंखों में धूल झोंकी गई।
मोदी सरकार ने तो पिछली सरकार की नाकामियों को दुरुस्त करने के लिए बैंकों के पूंजीकरण की महत्वाकांक्षी योजना पेश की है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ‘यह जरूर है कि उनकी नालायकी को दूर करने में हमने कुछ ज्यादा वक्त लगा दिया।
काले धन के खिलाफ सरकार के कदम
– सरकार गठन के तुरंत बाद एसआईटी का गठन। सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में दिया था इस बाबत आदेश
– एसआईटी की सिफारिशों के अनुकूल इस बुराई को दूर करने के लिए कई कानूनों में बदलाव किया गया
– 60 फीसदी जुर्माना देकर विदेश में जमा धन को स्वदेश लाने का ऑफर
– लिचेंस्टीन, एचएसबीसी या अन्य खातों में आए नामों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज