दो सियासी घरानों में भाजपा की सेंध से कांग्रेस को लगा बड़ा झटका

पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पं. सुखराम ने वर्ष 1998 के चुनाव में भी प्रदेश में कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ दिए थे। उस वक्त सुखराम ने हिमाचल विकास कांग्रेस खड़ी की। तब भाजपा और कांग्रेस दोनों ही 31-31 सीटें जीतीं। हिविकां ने पांच सीटों पर जीत हासिल की।
एक निर्दलीय विधायक रमेश धवाला जीते। धवाला के सहयोग से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सरकार बनाने का दावा जरूर पेश किया, मगर पंडित सुखराम ने भाजपा का साथ देकर प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनवाने का सफल दांव चला।
हाल में वीरभद्र सरकार के प्रतिष्ठित मंत्री रहे अनिल शर्मा ने भाजपा मेें शामिल होने का एलान कर कांग्रेस को पहला झटका दिया। अब नाहन के पूर्व विधायक कुश परमार के बेटे और हिमाचल निर्माता तथा प्रदेश में कांग्रेस को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाने वाले स्वर्गीय डॉ. वाईएस परमार के पोते ने दूसरा झटका दिया।
पिछली बार चेतन परमार के पिता कुश परमार ही नाहन से कांग्रेस से प्रत्याशी थे और वे चुनाव हार गए थे। इससे पहले वे कांग्रेस के ही विधायक रह चुके हैं। इस दफा उन्होंने बेटे के लिए ये सीट छोड़कर कांग्रेस का टिकट मांगा, जिसमें वे सफल नहीं हुए।
नाहन से सीएम वीरभद्र के करीबी माने जाने वाले अजय सोलंकी को टिकट दिया गया, जिसके रोष में डा. परमार के बेटे और पोते ने ये पैंतरा चला है। अब कांग्रेस इन दोनों प्रतिकूल राजनीतिक घटनाओं से नुकसान को रोकने की रणनीति पर विचार-मंथन कर रही है।



