नई दिल्ली : दिल के रोगों के बारे में कम जानने वाले ज्यादातर लोग हार्ट फेल्योर और हार्ट अटैक को एक ही समझते हैं। हालांकि दोनों ही दिल से जुड़ी हुई जानलेवा स्थिति है, लेकिन दोनों में काफी अंतर है। हार्ट अटैक खून के जमने की वजह से होता है, जो कोरनरी आर्टरीज (खून की नलियां) में होता है। खून जमने के कारण खून के सहज प्रवाह में बाधा आती है, जिससे दिल तक खून और ऑक्सिजन और दिल नहीं पहुंचता। हार्ट फेल्योर का कोई एक कारण नहीं है। यह अलग-अलग बीमारियों के कारण हो सकता है। इसकी वजह कोरोनरी आर्टरी डीसीज, डायबीटीज मेलिटस, हाइपरटेंशन, अरिदमिया और दिल की अन्य बीमारियां इसकी वजह हो सकती हैं।
हार्ट अटैक की स्थिति में मरीज को सीने में दर्द और जलन, हाथ, गले और जबड़े में दर्द होता है। इसके अलावा उसे सांस लेने में तकलीफ, उल्टी और चक्कर आने की शिकायत भी हो सकती है। हार्ट फेल्योर के लक्षण लंबे समय में उभरते हैं। फेफड़ों में कंजेशन, एड़ियों, पैर या पेट में सूजन, असामान्य तरीके से वजन बढ़ना, भूख में कमी, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण हार्ट फेलिअर के हैं। हार्ट अटैक के बाद दिल को सामान्य बनाया जा सकता है। इसके लिए आर्टरी से ब्लॉकेज को हटाना होता है। वहीं, हार्ट फेल्योर के बाद दिल की स्थिति में दिल को सामान्य बनाना मुश्किल काम है। हालांकि, इसमें जीवनशैली में बदलाव करके, दवाइयां और ऑपरेशन से सुधार करने की कोशिश की जा सकती है।