नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायिक डिक्री के आधार पर पति से अलग की गई पत्नी भी पति से गुजाराभत्ता लेने की हकदार है। यदि तलाकशुदा महिला को गुजाराभत्ता मिल सकता है तो कोई कारण नहीं है कि पति से अलग रह रही महिला को यह भत्ता न मिले। जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने पटना उच्च न्यायालय के आदेश को निरस्त कर दिया। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय इस मामले पर फिर से विचार करे और गुजराभत्ता देने का फैसला करे। पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के इस दृष्टिकोण का समर्थन नहीं करती कि चूंकि निचली अदालत ने कोई राय जाहिर नहीं है कि पत्नी अपनी गुजर बसर स्वयं नहीं कर सकती है इसलिए उसे गुजाराभता नहीं दिया जाएगा। पीठ ने पति की दलील भी ठुकरा दी है कि उनके पास ज्यूडीशियल सेपरेशन की डिक्री है और सीआरपीसी, 1973 की धारा 125 (4) के अनुसार ऐसी पत्नी गुजाराभत्ता नहीं मांग सकती। पीठ ने कहा कि हम इस दलील को खारिज करने के लिए ही रिकार्ड पर ले रहे हैं।