गुजरात में भी जीता उत्तर प्रदेश
लखनऊ। गुजरात में यह भाजपा की लगातार छठवीं जीत है। कांग्रेस से आमने-सामने की इस लड़ाई को जीतने में उत्तर भारतीयों (उप्र और बिहार) की अहम भूमिका रही।गुजरात विधानसभा में भाजपा को जो बढ़त मिली उसमें सर्वाधिक भूमिका दक्षिण गुजरात की है। उमरगांव से वडोदरा तक यह वही इलाका है जो औद्योगिक रूप से सर्वाधिक विकसित है।
भूकंप के बाद कच्छ का भी तेजी से औद्योगिकीकरण हुआ। इन सभी इलाकों में उत्तर भारत के हिंदी बोलने वालों की संख्या ठीकठाक है। इनमें से करीब 55-60 लाख तो वहां के मतदाता हैं। कई सीटों पर तो वे निर्णायक भूमिका में हैं। 2012 तक इनका 70-75 फीसद वोट कांग्रेस के पक्ष में जाता रहा है पर अबकी बार हालात बदल गए।
इसकी बड़ी वजह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इन क्षेत्रों में धुआंधार सभाएं भी रहीं। उनकी छवि, बिना लाग लपेट के हिंदुत्व और विकास के मुद्दे पर बात रखने की शैली ने माहौल बदला। पाटीदार और अन्य आंदोलनों के कारण जातिवाद की ओर जा रहे चुनाव में न केवल हिंदू एकजुट हुआ बल्कि उसमें आक्रामकता भी आई। योगी की रात की सभाओं में भी भीड़ उमड़ी।
33 में 29 जिलों में हुईं सभाएं
अक्टूबर में योगी गुजरात गौरव यात्रा में शामिल हुए। यह यात्रा वलसाड, नवसारी, सूरत और कच्छ के परदी, अतुल, वलसाड, चिखली, गनदेवी, अमलसाद, अब्रामा, इरू, कबीलपुर, मारोली,सचिन, भुज, सुखपुर, मनकुवा, समत्र,देसालपुर, देवपर, मनगांवा, गधशिला,शेरडी, मांडवी, बिदादा, भुजपुर और मुंडारा से गुजरी।
अहम भूमिका के मिले थे संकेत
यात्रा और सभाओं में आने वालों की संख्या से संकेत मिल गया था कि चुनाव में उनकी अहम भूमिका होगी। फिर तो यूपी नगर निकाय चुनाव की अपनी पहली परीक्षा की व्यस्तताओं के बावजूद कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर योगी लगातार गुजरात गए। 26 नवंबर से 12 दिसंबर के दौरान अपनी आठ बार की गुजरात यात्र के दौरान योगी वहां 29 जिलों में गये।
गुजरात की जीत से उप्र भाजपा की बढ़ी खुशी
गुजरात में उत्तर प्रदेश के लोगों की बड़ी संख्या है। इस चुनाव में उनको भाजपा के पक्ष में करने के लिए प्रदेश सरकार और संगठन ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। गुजरात और हिमाचल का चुनाव परिणाम आने के बाद उत्तर प्रदेश भाजपा मुख्यालय में उसी उल्लास के साथ खुशी मनाई गई और कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई।