उत्तराखंडराज्य

बूढ़ी मां को 25 साल बाद इंसाफ, मिली बेटे की पेंशन

हल्‍द्वानी: इसे सिस्टम की लापरवाही कहें या फिर व्यवस्था की खामी। जो बेटा माता-पिता के बुढ़ापे की लाठी था, 25 साल पहले उसकी मौत हो गई। फौज में मेजर के पद पर तैनात बेटे की 1993 में लाश मिली थी और मौत कैसे हुई, यह रहस्य आज भी बरकरार है। बेटे के जाने के बाद उसकी पेंशन का आसरा था। बूढ़े पिता इस उम्मीद में सरकारी दफ्तरों की दौड़ लगाते रहे। पेंशन नहीं मिली और आखिर में उन्होंने भी बेटे की मौत के पांच साल बाद दम तोड़ दिया। एक वर्ष पहले मां ने एक सैन्य अफसर के माध्यम से सिस्टम से फिर दरख्वास्त की तो अब जाकर पेंशन जारी की गई है। यानी 25 साल बाद मां को इंसाफ मिला है।बूढ़ी मां को 25 साल बाद इंसाफ, मिली बेटे की पेंशन

नैनीताल के पास हनुमानगढ़ी के जंगल में मिला था मेजर का शव 

दास्तां रानीखेत की द्वाराहाट तहसील के ग्राम टोडहरा पोस्ट दूनागिरि के रहने वाले किसान गौरी दत्त भट्ट के परिवार की है। गौरी दत्त के पांच बेटे, दो बेटियों में भुवन भट्ट सबसे बढ़े बेटे थे। बचपन से मेधावी भुवन ने राजकीय इंटर कॉलेज द्वाराहाट से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करते ही पहले प्रयास में एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा पास कर ली। एमबीबीएस करने के बाद 1982 में में उनका चयन भारतीय सेना में कमीशन अधिकारी के रूप में हुआ। 

छोटे भाई-बहनों की परवरिश का जिम्मा होने के कारण मेजर भुवन ने विवाह नहीं किया। अगस्त 1993 में भुवन अवकाश पर घर आए थे। 17 अगस्त 1993 को डयूटी ज्वाइन करने के लिए वह द्वाराहाट से हल्द्वानी आए। 18 अगस्त को नैनीताल घूमने निकलने के बाद लापता हो गए। 16 दिन बाद मेजर भुवन की लाश नैनीताल के समीप हनुमानगढ़ी के जंगल में मिली थी। मेजर की हत्या हुई या और कुछ, यह रहस्य आज भी रहस्य ही है।

पिता ने प्रयास किया, सेना से मिली निराशा 

मेजर की मौत से परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूटने के साथ ही आर्थिक संकट पैदा हो गया। मेजर भुवन के पिता गौरी दत्त भट्ट ने बेटे की पेंशन के लिए सेना के अफसरों और दफ्तरों तक कई साल पत्राचार किया, लेकिन हर बार निराशा मिली। शिक्षा और जागरूकता के अभाव में वह पेंशन नहीं मिलने का कारण भी पता नहीं कर पाए। अपने हक के लिए संघर्ष में असफलता से निराश गौरी दत्त की 1998 में मृत्यु हो गई। मेजर भुवन की बूढ़ी मां तारा देवी ने भी न्याय की आस छोड़ दी थी। तारा देवी के पास सेना के सिस्टम को कोसने के अलावा कुछ नहीं था।

मेजर रौतेला ने बूढ़ी आंखों में लौटाई खुशियां 

तारा देवी के सबसे छोटे बेटे युगल किशोर भट्ट की वर्ष 2016 में कर्नल डीडी पाठक से मुलाकात हुई। कर्नल पाठक ने उन्हें एक बार जिला सैनिक कल्याण अधिकारी मेजर बीएस रौतेला से मिलने की सलाह दी। इस पर मई 2016 को तारा व युगल ने मेजर रौतेला से मिलकर अपना दर्द रखा और पेंशन दिलवाने के लिए आवेदन किया। मेजर रौतेला ने सेना के दफ्तरों में फिर से मेजर भुवन की पेंशन की फाइल लगा दी। साथ ही समय-समय पर फाइल की स्थिति की जानकारी लेते रहे।

आखिर 25 साल बाद मेजर भुवन की बूढ़ी तारा देवी को न्याय मिलने के साथ ही पेंशन लागू हो गई है। तारा देवी की उम्र इस समय 81 साल है। मेजर बीएस रौतेला (जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी) का कहना है कि मेजर भुवन भट्ट की मां तारा देवी की पेंशन लागू हो गई है। उन्हें पेंशन के साथ ही वर्ष वर्ष 1993 से अब तक के एरियर का भुगतान भी होगा। इसके साथ तारा देवी को ईसीएचएस व कैंटीन सुविधा भी मिलेगी।

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