नेपाल में चुनाव: भारत के साथ रिश्तों पर क्या होगा असर?
साल 2018 में भारत के सामने पड़ोसी देशों से संबंधित कई नई चुनौतियां पेश आ सकती हैं। लगभग सभी पड़ोसी देशों में अगले 16 महीनों के दौरान चुनाव होने वाले हैं। भारत के साथ बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच कुछ देशों में सत्ता परिवर्तन की आहट भी सुनी जा रही है। डोकलाम विवाद सुलझाने में अहम भूमिका निभाने वाले विजय केशव गोखले अगले विदेश सचिव बनने जा रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि पड़ोसियों के साथ भारत के रिश्त आने वाले वक्त में किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।
पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में भी 2018 के अंत या 2019 की शुरुआत में चुनाव होने के आसार हैं। भारत के लिए बांग्लादेश में होने वाले चुनाव बेहद अहम होंगे, क्योंकि भारत ने शेख हसीना और उनकी सरकार के साथ मिलकर काफी काम किया है और वहां भारी निवेश भी किया है। हसीना को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। वहां के चुनावी नतीजे भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्तों और प्रादेशिक संबंधों पर निश्चित तौर पर असर डालेंगे। इसी तरह अफगानिस्तान में इस साल जुलाई में संसदीय चुनाव होंगे, जबकि राष्ट्रपति चुनाव अप्रैल 2019 में होना है।
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सिर्फ श्री लंका को छोड़कर भारत के सभी पड़ोसी देशों के अंदरूनी समीकरण बदले हुए होंगे। भारत का काम दो वजहों से मुश्किल होने वाला है। पहला, आज की कामयाबियां भविष्य की असफलताओं की तरह लगती हैं, जो लगातार एक कूटनीतिक चुनौती बनी रहती है। दूसरा, चीन की सभी भारत के सभी पड़ोसी देशों के साथ नजदीकियां काफी बढ़ रही हैं। खासतौर पर नेपाल के साथ रिश्तों को लेकर भारत से ‘बड़ी गलतियां’ हुई हैं। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने बुढ़ी गंडकी हाइड्रोपावर प्रॉजेक्ट चीन से छीन लिया था, लेकिन अब नई सरकार ने चीन को यह प्रॉजेक्ट लौटाने का वादा किया है। मोदी BIMSTEC समिट में शामिल होने के लिए लिए नेपाल जा सकते हैं, लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या ओली सरकार भारत को फिर से वह तरजीह देगी?
मालदीव के साथ भी भारत के रिश्ते पहले से काफी खराब हुए हैं। हाल में मालदीव की सरकार ने भारतीय राजदूत अखिलेश मिश्रा से मुलाकात करने वाले स्थानीय निकाय के तीन पार्षदों को सस्पेंड कर दिया था। इस घटना को भारत और मालदीव के कमजोर होते रिश्तों से जोड़कर देखा गया था। मालदीव की भी चीन नजदीकी काफी बढ़ी है। सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि भारत के साथ संबंधों में उसका भरोसा कम हुआ है।
दूसरी तरफ बांग्लादेश, म्यांमार और भूटान ऐसे पड़ोसी देश हैं जिनके साथ भारत के संबंध मजबूत हुए हैं। भारत ने खासतौर पर बांग्लादेश में काफी निवेश किया है। वहां कई बड़े कनेक्टिविटी प्रॉजेक्ट्स में भारत ने पैसा लगाया है। इसके अलावा भारत ने वहां विकास और रक्षा के क्षेत्र में 5 बिलियन डॉलर का निवेश करने का प्रस्ताव दिया है। यहा ंतक कि रोहिंग्या संकट के समय भी भारत ने शेख हसीना को ध्यान में रखते हुए अपने स्टैंड में कुछ बदलाव भी किया।