अद्धयात्म

जानिए पूजा में चावल से जुडी कुछ बाते

किसी भी पूजन के समय गुलाल, हल्दी, अबीर और कुंकुम अर्पित करने के बाद अक्षत चढ़ाए जाते हैं. अक्षत न हो तो पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती. जानिए पूजा में चावल से जुडी कुछ बाते

जानिए चावल से जुड़ी खास बातें…

भगवान को चावल चढ़ाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि चावल टूटे हुए न हों. अक्षत पूर्णता का प्रतीक है अत: सभी चावल अखंडित होने चाहिए. चावल साफ एवं स्वच्छ होने चाहिए. शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से शिवजी अतिप्रसन्न होते हैं और भक्तों अखंडित चावल की तरह अखंडित धन, मान-सम्मान प्रदान करते हैं. श्रद्धालुओं को जीवनभर धन-धान्य की कमी नहीं होती हैं.

दरअसल अक्षत पूर्णता का प्रतीक है. अर्थात यह टूटा हुआ नहीं होता है. अत: पूजा में अक्षत चढ़ाने का अभिप्राय यह है कि हमारा पूजन अक्षत की तरह पूर्ण हो. अन्न में श्रेष्ठ होने के कारण भगवान को चढ़ाते समय यह भाव रहता है कि जो कुछ भी अन्न हमें प्राप्त होता है वह भगवान की कृपा से ही मिलता है. अत: हमारे अंदर यह भावना भी बनी रहे. इसका सफेद रंग शांति का प्रतीक है. अत: हमारे प्रत्येक कार्य की पूर्णता ऐसी हो कि उसका फल हमें शांति प्रदान करे. इसीलिए पूजन में अक्षत एक अनिवार्य सामग्री है ताकि ये भाव हमारे अंदर हमेशा बने रहें.

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