संक्रांति पर राशिच्रक में काफी महत्तपूर्ण परिवर्तन होता है। वर्ष में 12 संक्रातियां आती है, लेकिन उनमें से सबसे अधिक अहमियत मकर संक्रांति को दिया जाता है। आप जानते हैं ऐसा क्यों?
दरअसल मकर संक्रांति को खेत-खलियानों, फसलों से जुड़े हुए त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है। असल में मकर संक्रांति वह समय है,जब हमारे खेतों में फसलें तैयार हो चुकी होती है और हम फसलों के तैयार हो जाने की खुशियां मनाते हैं। संक्रांति के दिन ही हम हर उन चीजों का आभार प्रकट करते हैं, जिसने खेती तथा फसल उगाने में हमारी सहायता की है।
खेती करने में कृषि से जुड़े हुए पशुओं का एक महत्वपूर्ण एवं बहुत बड़ा योगदान होता है, इनके बिना तो खेती करना फसलें उगाना असंभव सा है, इसलिए उनके लिए भी मकर संक्रांति का एक दिन होता है।
मकर संक्रांति का पहले दिन धरती का, दूसरे दिन हम मानव का और तीसरे दिन मवेशियों का होता है। धरती को प्रथम स्थान इसलिए दिया गया है,क्योंकि धरती से ही हमारा अस्तित्व है। इसलिए मकर संक्रांति को फसलों का त्योहार भी कहते है।