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सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के मामले में केंद्र ने बदला रुख

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान को अनिवार्य बनाए जाने के मामले में अपने रुख में बदलाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह सिनेमाघरों में राष्ट्रगान को फिलहाल अनिवार्य न बनाए। केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि उसने अंतर मंत्रालयी समिति बनाई है जो 6 महीनों में अपने सुझाव देगी। इसके बाद सरकार तय करेगी कि कोई अधिसूचना या सर्कुलर जारी किया जाए या नहीं। तब तक राष्ट्रगान को अनिवार्य करने संबंधी 30 नवम्बर, 2016 के आदेश से पहले की स्थिति बहाल हो। इस मामले में आज सुनवाई होनी है। गौरतलब है कि 23 अक्तूबर, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा था कि सिनेमाघरों और अन्य स्थानों पर राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य हो या नहीं, ये वो तय करे। इस संबंध में कोई भी सर्कुलर जारी किया जाए तो सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश से प्रभावित न हों। कोर्ट ने ये भी कहा कि ये भी देखना चाहिए कि सिनेमाघर में लोग मनोरंजन के लिए जाते हैं, ऐसे में देशभक्ति का क्या पैमाना हो, इसके लिए कोई रेखा तय होनी चाहिए?

कोर्ट ने कहा था कि इस तरह के नोटिफिकेशन या नियम का मामला संसद का है, ये काम कोर्ट पर क्यों थोपा जाए? उसके बाद 30 नवंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान, यानी ‘जन गण मन’ से जुड़े एक अहम अंतरिम आदेश में कहा था कि देशभर के सभी सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि राष्ट्रगान बजते समय सिनेमाहॉल के पर्दे पर राष्ट्रीय ध्वज दिखाया जाना भी अनिवार्य होगा तथा सिनेमाघर में मौजूद सभी लोगों को राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ा होना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रगान राष्ट्रीय पहचान, राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक देशभक्ति से जुड़ा है।

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