उत्तराखंडराज्य

उत्तराखंड में रेल ट्रैक पर ड्रोन बचाएगा हाथियों की जान

हल्द्वानी: रेल ट्रैक पर हाथी की जान सलामत रहे, इसके लिए वन विभाग पहली बार ड्रोन से निगरानी करने जा रहा है। ट्रेन के आने से कुछ देर पहले वन कर्मचारी ड्रोन से हाथी कॉरिडोर के साथ ही ट्रैक से गुजरने वाले अन्य संवेदनशील इलाकों का सर्वे करेंगे। इस बीच अगर उन्हें रेलवे लाइन पर कोई वन्यजीव दिख जाता है तो वह रेलवे अधिकारियों को मैसेज भेजेंगे, ताकि उस वक्त वहां गुजरने वाली ट्रेन के ड्राइवर को तत्काल अलर्ट किया जा सके। वन अधिकारियों का दावा है कि इस व्यवस्था से हाथी के साथ ही अन्य जंगली जानवरों को बचाने में मदद मिलेगी। उत्तराखंड में इस तरह का यह पहला प्रयोग है।उत्तराखंड में रेल ट्रैक पर ड्रोन बचाएगा हाथियों की जान

कुमाऊं के तराई केंद्रीय वन प्रभाग के अंतर्गत लालकुआं-काशीपुर रेल ट्रैक के बीच आने वाले टांडा क्रॉसिंग के पास से इसकी शुरुआत होने जा रही है। यहां एलीफेंट कॉरिडोर होने की वजह से कई बार हाथी और गुलदार के मरने की घटनाएं हो चुकी है। पश्चिमी वृत्त के वन संरक्षण डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि रेलवे और वन विभाग के समन्वय से साल भर से ड्रोन के जरिये ट्रैक की निगरानी करने की कवायद चल रही थी। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ट्रैक पर ट्रेन के गुजरने के करीब आधा घंटा पहले चिह्नित कॉरिडोर के पास ड्रोन को उड़ाया जाएगा। 

पांच से सात किमी एरिया में ड्रोन की मदद से हवाई सर्वे के बाद वनाधिकारी यह देखेंगे कि ट्रैक पर हाथियों का झुंड या अन्य कोई वन्य जीव तो नहीं है। अगर कोई जानवर दिखाई देता है तो ड्रोन का संचालन कर रहा फॉरेस्टर या फॉरेस्ट गार्ड इसकी सूचना तत्काल संबंधित स्टेशन मास्टर को देगा।  इसके बाद रेलवे की ओर से ट्रेन के पायलट को सचेत किया जाएगा। वन महकमे की तैयारी है कि टांडा क्रॉसिंग के बाद रामनगर-काशीपुर के बीच हेमपुर हाथी कॉरिडोर, लालकुआं-किच्छा के बीच नगला कॉरिडोर, खटीमा-बनबसा लाइन पर जगबुड़ा सहित अन्य हाथी कॉरिडोर में भी ड्रोन से निगरानी शुरू कराई जाएगी।

ट्रेन की चपेट में आकर मर चुके कई हाथी 

वर्ष 2010 में लालकुआं-काशीपुर के बीच टांडा बैरियर के पास ट्रेन की चपेट में आकर एक हाथी की मौत को गई थी। यहां पर वर्ष 2014 में ही एक टाइगर रेलवे लाइन पर आने से कट गया था। वर्ष 2015 में रामनगर-काशीपुर के बीच हेमपुर के पास ट्रेन की चपेट में आकर एक हाथी की मौत हुई तो वर्ष 2015 में ही बनबसा-खटीमा के बीच जगबुड़ा में गुलदार के मरने की घटना हो चुकी है। 2017 में टांडा के पास ही ट्रेन से टकराकर दो हाथियों की मौत हो गई थी। 

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