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उत्तराखंड की अमीषा बनी तीन दिन में उरू पीक फतह करने वाली पहली भारतीय महिला

देहरादून: दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी उरू को तीन दिन में फतह करने वाली दून की अमीषा का अगला लक्ष्य अब यूरोप की एलब्रुस पीक फतह करना है। इसके लिए वे श्रीनगर में संचालित स्कीइंग कोर्स में प्रवेश लेने जा रही हैं। अमीषा का दावा है कि वह देश की पहली महिला पर्वतारोही हैं, जिन्होंने केवल 54 घंटे में उरू पीक पर चढ़ाई पूरी की है।उत्तराखंड की अमीषा बनी तीन दिन में उरू पीक फतह करने वाली पहली भारतीय महिला

प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता में अमीषा ने अपने अनुभवों को साझा किया। बताया कि बचपन से ही उन्हें हिमालय की बर्फ से ढकी चोटिंया आकर्षित करती थीं। दादा-दादी से जब इन चोटियों पर जाने की फरमाइश की तो हमेशा यही जवाब मिलता कि तपस्या करने से ही इन चोटियों पर जाना संभव है।

उन्होंने कहा कि तभी से ठान लिया था कि एक दिन इन्हीं चोटियों को फतह करना है। अमीषा ने बताया कि पढ़ाई पूरी करने के बाद दो साल बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी की, लेकिन लक्ष्य तो कुछ और ही था। फिर पर्वतारोहण बनने की ठानी। बताया कि उन्होंने 28 दिसंबर को दोपहर 12 बजे दक्षिण अफ्रीका की उरू पीक पर चढ़ाई शुरू की। 29 दिसंबर की रात आठ बजे उरू पीक की समीप पहुंच चुकी थीं। साथ में चल रहे गाइड फ्रेंस ने रात को चढ़ाई करने से मना किया, लेकिन जब मुझे लगा कि मैं अभी चल सकती हूं तो मैंने हार नहीं मानी और फिर चलना शुरू किया। 

रात करीब 9:30 बजे थकावट महसूस हुई और उल्टियां होने लगीं तो गाइड ने वापस बेस कैंप पर चलने के लिए कहा। लेकिन दिमाग में सिर्फ यही बात थी कि मंजिल मात्र एक घंटे की दूरी पर है। थोड़ी देर विश्राम किया और अगले एक घंटे में करीब 10:30 बजे उरू पीक पर पहुंच गईं। 

30 दिसंबर की सुबह 5:30 बजे वे वापस बेस कैंप में पहुंची। अमीषा के पिता रिटायर्ड सूबेदार मेजर रविंद्र सिंह चौहान का दावा है कि उनकी बेटी पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने इतने कम समय में उरू पीक फतह की है। उन्होंने कहा कि वे अगले सप्ताह दिल्ली में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अमीषा का नाम दर्ज करवाने जा रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि अगले दौरे में सरकार की ओर से भी अमीषा को आर्थिक सहायता दी जाएगी।

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