
सरकार को किसानों ने दी सामूहिक आत्मदाह की धमकी
भारत देश जिसे कृषि प्रधान देश कहा जाता है, जहां जय जवान जय किसान का नारा लगाया जाता है, जहां किसानों को अन्नदाता कहा जाता है, तो फिर ऐसे देश में किसानों की ऐसी दुर्दशा के मामले क्यों सामने आते रहते है? ऐसा ही एक सरकार द्वारा किसानों की मेहनत का शोषण करने वाला मामला सामने आया है, किसानों को 2009 की फसल का भुगतान आज तक नहीं दिया गया है. सरकार द्वारा प्रताड़ित किसानों ने तंग आकर सामूहिक आत्मदाह करने की चेतावनी दी है, जिससे उत्तरप्रदेश प्रशासन के कान पर अब जू रेंगती हुई दिख रही है.
यह मामला उत्तरप्रदेश के अम्बेडकर नगर के टांडा छेत्र का है, जहां किसानों को लगभग नौ वर्षो से अनाज का भुगतान नहीं मिला है, सरकार वायदे करती रहती है और तारीख आगे बढ़ती रहती है. किसानों को वर्षो से यह कहकर गुमराह किया जा रहा है कि सहकारी समिति के खाते में धन राशि नहीं होने के कारण अनाज का भुगतान नहीं किया जा रहा है, और झूठे वचन और आश्वासन देकर किसानों को एक और तारीख़ की ओर अग्रसर कर दिया जाता है.
मजबूर होकर किसानों ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक अर्जी लगाई है लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है जिससे किसानों को आत्मदाह जैसे कदम उठाने की धमकी देनी पड़ी. चित्तौरा ग्राम पंचायत के लगभग 20 किसानों का सन 2009 से करीबन 14 लाख की बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ है, जिससे इस महंगाई के समय में किसानों पर भारी कर्जा भी हो रहा है. किसानों का कहना है कि भोजन ,वस्त्र, बच्चों की पढ़ाई आदि के लिए उन्हें कर्ज लेकर जीवन यापन करना पड़ रहा है और यदि सरकार हमारा और हमारे परिवार के उज्जवल भविष्य के लिए जागरूक नहीं है तो ऐसी सरकार के सामने आत्महत्या करने से बेहतर और कोई अन्य विकल्प नहीं है.