नई दिल्ली। पांच राज्यों के चुनावों की आड़ में राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर के राजनीतिक दलों ने जमकर चंदा लिया, लेकिन जब खर्चे की बारी आई तो अपने हाथ खींच लिए। थिंक टैंक एसोसिएशन फॅार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की रिपोर्ट में यही बात सामने आई है। रिपोर्ट कहती है कि नेताओं ने जुटाए 15 सौ करोड़ लेकिन खर्चे केवल 494 करोड़ रुपये।
राष्ट्रीय दलों की बात करें तो चुनावी चंदे के नाम पर 1314.29 करोड़ रुपये उगाहे गए। इनमें से खर्च केवल 328.66 करोड़ रुपये किए गए। सबसे ज्यादा पैसा भाजपा ने लिया। पार्टी के हिस्से में चंदे के रूप में 1214.46 करोड़ रुपये आए। चंदे में सभी दलों को मिली रकम का यह 92.4 फीसद हिस्सा है। केंद्रीय मुख्यालय ने 1194.21 करोड़ रुपये उगाहे। राज्यों में सबसे ज्यादा भाजपा की गोवा यूनिट ने 17 करोड़ रुपये उगाहे। 16 क्षेत्रीय दलों ने 189 करोड़ रुपये जुटाए, जबकि खर्च किए 166 करोड़। छह क्षेत्रीय दलों ने चंदे व खर्च का ब्योरा पेश नहीं किया।
कांग्रेस के केंद्रीय मुख्यालय से ज्यादा रकम राज्य स्तर पर जुटाई गई। कांग्रेस ने 62.09 करोड़, एनसीपी ने .61 करोड़, माकपा ने .46 करोड़ रुपये राज्य स्तर पर जुटाए। बसपा ने कोई चंदा नहीं लिया। क्षेत्रीय दलों की बात की जाए तो सबसे ज्यादा रकम 116 करोड़ रुपये शिव सेना ने जुटाई। आप को गोवा व पंजाब चुनाव के दौरान 37.35 करोड़ रुपये मिले। शिव सेना ने उत्तर प्रदेश, पंजाब व उत्तराखंड चुनाव में कोई पैसा खर्च नहीं किया। एडीआर का कहना है कि नेताओं ने यह रकम चेक, कैश व डिमांड ड्राफ्ट की शक्ल में ली। पार्टियों ने यह पैसा प्रचार, आने-जाने के खर्च व उम्मीदवारों को दी जाने वाली मद में खर्च किया गया।