पाक का दावा, टेरर फंडिंग लिस्ट में शामिल करने की अमेरिकी कोशिश नाकाम
पाकिस्तान ने बुधवार (21 फरवरी) को दावा किया कि उसने उसे आतंकवाद को वित्तपोषण करने वाले देशों की निगरानी सूची में शामिल करने को लेकर अमेरिकी अगुवाई में किये जा रहे प्रयासों को विफल कर दिया है. पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय पंजीयक एफएटीएफ की तरफ से उसे इस मामले में तीन महीने की मोहलत मिलने के बाद उसकी तरफ से यह दावा किया गया है. आतंकवादियों को धन पहुंचाने की गतिविधियों और मनी लांड्रिंग पर रोक लगाने के लिये काम करने वाली वैश्विक संस्था ‘वित्तीय कारवाई कार्यबल’ (एफएटीएफ) की पेरिस में बैठक हुई. जानकारी के मुताबिक यह बैठक इस तरह की रिपोर्टों के बीच हुई कि अमेरिका अपने कुछ यूरोपीय सहयोगियों के साथ मिलकर पाकिस्तान को उन देशों की सूची में शामिल करना चाहता है, जो देश आतंकवाद को वित्तीय समर्थन उपलब्ध करा रहे हैं.
सोशल मीडिया पर दी जानकारी
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा असिफ ने सोशल मीडिया पर सुबह इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि हमारे कोशिशों ने रंग दिखाया और अमेरिका की अगुवाई में ‘पाकिस्तान को इस सूची में शामिल करने के लिए की गई कोशिशों को लेकर आम सहमति नहीं बनीं.’
दोस्तों का शुक्रगुजार है पाक : ख्वाजा असिफ
उन्होंने ट्वीट किया कि बैठक में तीन महीने तक के लिये इस पर रोक लगा दी गई और एशिया प्रशांत समूह (एपीजी) से कहा गया कि ‘जून में एक अन्य रिपोर्ट पर विचार किया जाना चाहिए’. असिफ ने कहा पाकिस्तान ‘अपने उन दोस्तों का शुक्रगुजार है जिन्होंने मदद की’. जिससे पाकिस्तान को निगरानी सूची में डालने से बचाया जा सका.
पेरिस में हुई थी बैठक
एफएटीएफ के सदस्य देशों की इस हफ्ते पेरिस में बैठक हुई. इसमें माना जा रहा था कि अमेरिका के नेतृत्व में पाकिस्तान को आंतकवाद वित्तपोषण नियमनों के तहत निगरानी सूची वाले देशों में शामिल कर लिया जायेगा. अमेरिका को ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी का समर्थन प्राप्त है. इस बैठक में एफएटीएफ के वैश्विक नेटवर्क के 203 न्यायिक क्षेत्रों के 700 से अधिक प्रतिनिधि शामिल थे.