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बुलेट ट्रेन मांगे RO, जापानी कंपनी ने कहा खारा पानी मजबूत कॉरिडोर नहीं दे सकता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन के कॉरिडोर पर काम कर रही जापानी टीम के सिविल इंजीनियरों ने निर्माण के दौरान खारे या नमक वाले पानी के इस्तेमाल की मनाही कर दी है। इसकी जगह वे आरओ के पानी का इस्तेमाल करेंगे। यानी पिछले साल सितंबर में अहमदाबाद और मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का शिलान्यास करने वाले पीएम के प्रोजेक्ट के कॉरिडोर बनने का काम अब सितंबर से पहले नहीं शुरू हो पाएगा। फिलहाल कॉरिडोर की डिजाइनिंग और मुंबई में समुद्र के नीचे हुए गन शूटिंग प्रॉसेस के डेटा का जापान में आकलन किया जा रहा है। साथ ही आरओ प्लांट कहां लगाया जाएं, इस पर माथापच्ची जारी है।
तेज रफ्तार ट्रेन के काम में कमी न रहे कोई
कॉरिडोर का काम देख रहे नैशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन के अधिकारियों के मुताबिक, निर्माण में एक बड़ी दिक्कत पानी की आ रही है। साथ काम कर रही जापानी टीम का मानना है कि चूंकि ट्रेन काफी तेज रफ्तार से दौड़ेगी, ऐसे में कंस्ट्रक्शन में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ी जा सकती। टीम मानती है कि कॉरिडोर के निर्माण के लिए साधारण पानी से काम नहीं चल पाएगा।
…इसलिए जरूरी है
सिविल इंजीनियरों का कहना है कि जिन क्षेत्रों में ग्राउंड वाटर खारा होता है या नमक अधिक होता है, वहां आरओ प्लांट लगाकर उसके जरिए आने वाले पानी का उपयोग ही कंक्रीट तैयार करने के लिए किया जाता है। अगर खारा या नमक वाला पानी इस्तेमाल किया जाएगा, तो उससे कंक्रीट में मजबूती नहीं आ पाती। उसकी लाइफ भी कम हो जाती है। बुलेट ट्रेन के सिविल स्ट्रक्चर पर कोई बुरा असर न पड़े, इसलिए आरओ जरूरी है। दिल्ली में भी मेट्रो रूट कंस्ट्रक्शन के लिए कई बार आरओ प्लांट से पानी लेकर उसका उपयोग किया गया है।
…इसलिए जरूरी है
सिविल इंजीनियरों का कहना है कि जिन क्षेत्रों में ग्राउंड वाटर खारा होता है या नमक अधिक होता है, वहां आरओ प्लांट लगाकर उसके जरिए आने वाले पानी का उपयोग ही कंक्रीट तैयार करने के लिए किया जाता है। अगर खारा या नमक वाला पानी इस्तेमाल किया जाएगा, तो उससे कंक्रीट में मजबूती नहीं आ पाती। उसकी लाइफ भी कम हो जाती है। बुलेट ट्रेन के सिविल स्ट्रक्चर पर कोई बुरा असर न पड़े, इसलिए आरओ जरूरी है। दिल्ली में भी मेट्रो रूट कंस्ट्रक्शन के लिए कई बार आरओ प्लांट से पानी लेकर उसका उपयोग किया गया है।