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सीबीआई ने जबरदस्ती निर्दोष लोगों के खिलाफ बयान दिलवाए : रेप पीड़िता

कश्मीर की सियासत में तूफान लाने वाले वर्ष 2006 के सनसनीखेज सेक्स स्कैंडल की पीड़िता और मुख्य गवाह ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में कहा है कि सीबीआई ने 2006 में आरोपी लोगों के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डाला था।

गौरतलब है कि इस मामले में जम्मू कश्मीर के कई नेता औऱ पैसे वाले लोगों के नाम सामने आए थे। पीड़ित महिला ने कोर्ट से कार्रवाई रोकने की अपील की है और साथ में कहा है किए उसके बयान की कोर्ट में एक गवाह के तौर फिर से जांच की जाए। पीड़ित ने 25 फरवरी 2016 को विशेष सीबीआई अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दायर की है। इस मामले पर अदालत में सोमवार को शुरु हुई बहस मंगलवार को जारी रही। मामले की मुख्य गवाह और पीड़ित की याचिका पर सीबीआई के वकील सुमित गोयल ने कहा कि अभियुक्त और अभियोजन पक्ष अब एकदूसरे के साथ मिल चुके हैं। महिला ने अपनी याचिका में कहा किए हिरासत में उसे जबरदस्ती निर्दोष लोगों के खिलाफ आरोप लगाने का बाध्य किया गया। जबकि वे लोग निर्दोष थे। पीड़िता ने कहा कि उसे सीबीआई ने डराया था और ट्रायल कोर्ट में गलत बयान दिलवाए गए थे। डर के कारण उसकी कभी हिम्मत नहीं हुई वह झूठे आरोपो के खिलाफ आवाज उठा सके। सितम्बर 2006 में मामले को चंडीगढ़ जिला अदालत में ट्रांसफर दिया गया था। इससे पहले 29 सितंबर 2012 को अदालत ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व प्रमुख सचिव एवं विधायक आईएएस अधिकारी रहे इकबाल खांडे, पूर्व मंत्री गुलाम अहमद मीर और एक अन्य मंत्री रमन मट्टू, सबीना और उसके पति अब्दुल हामिद बुल्ला को एक मामले में बरी किया था। आपको बता दें कि सीबीआई ने चार सितम्बर 2006 को एक दर्जन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। जम्मू एंड कश्मीर पुलिस को एक नाबालिग लड़की का एमएमएस मिला था। इसके बाद की गई जांच में पता चला कि शबीना अपने घर में देह व्यापार करती है। पुलिस ने शबीना के घर पर छापा मारकर एक दर्जन लड़कियां बरामद की थी। इनमें से एक लड़की नाबालिग थी। लड़की ने खुलासा किया कि शबीना युवतियों को मंत्री और पुलिस अफसरों के पास भेजती थी। मामले में कुल नौ चार्जशीटें दायर की गई थीं, जिनमें पुलिस ने दर्जन भर से अधिक आरोपी बनाए थे। इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 376ए आईटी एक्ट की धारा 67 और इमोरल ट्रैफिकिंग की धारा 3ए 4ए 5 व आईपीसी की धारा 120 बी के तहत केस दर्ज किया था।

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