मुंबई। वैज्ञानिक समुदाय को संबोधित कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुसंधान की सहूलियत को कारोबार की सहूलियत जितना ही महत्वपूर्ण बताते हुए लाल-फीताशाही दूर करने का वादा किया और देश में बदलाव लाने में उनके सहयोग की अपेक्षा जताई। मोदी ने यहां भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के बड़े स्रोत के तौर पर सरकार को अपना हिस्सा निभाना चाहिए। जब मैं भारत में कारोबार की सहूलियत की बात करता हूं तो मैं भारत में अनुसंधान एवं विकास की सहूलियत पर भी उतना ही ध्यान देना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि हमारे वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता सरकारी प्रक्रियाओं की नहीं, विज्ञान की गुत्थियां सुलझाएं। उनका इशारा देश में वैज्ञानिक समुदाय द्वारा अनुसंधान के लिए धन मिलने में विलंब तथा वैश्विक सम्मेलनों में शामिल होने के लिए अनुमति प्रक्रिया में विलंब के बारे में की जाने वाली शिकायतों की ओर था।
मोदी ने कहा, आपको मुझसे बेहतर समर्थक नहीं मिलेगा। इसके बदले में मैं देश में बदलाव लाने में आपकी मदद चाहता हूं। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से कहा कि उनकी उपलब्धियों का जश्न उसी तरह मनाया जाना चाहिए जिस तरह का जश्न अन्य क्षेत्रों में सफलता मिलने पर हम मनाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को राष्ट्रीय प्राथमिकता के शीर्ष पर रखने की जरूरत है। हमें हमारे देश में विज्ञान एवं वैज्ञानिकों का गौरव और प्रतिष्ठा बहाल करनी चाहिए। मोदी ने वैज्ञानिकों से ज्यादा उचित, प्रभावी टिकाऊ एवं किफायती प्रौद्योगिकियां विकसित करने के लिए पारंपरिक स्थानीय ज्ञान का समावेश करने का आग्रह किया ताकि विकास एवं प्रगति में जबरदस्त योगदान मिल सके। उन्होंने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के हाथ निर्धनतम, दूरस्थ स्थल पर रहने वाले एवं सर्वाधिक जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचने चाहिए। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि डिजिटल संपर्क उतना ही मौलिक अधिकार बनना चाहिए जितना स्कूल तक पहुंच है।