नयी दिल्ली। इस्लाम के पैगम्बर मोहम्मद साहब के प्रथम परिवार के 41वीं पीढ़ी के वंशज शाह अब्दुल्ला ने विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में इस्लामिक विरासत सदभावना और उदारता विषय पर अपने व्याख्यान में भारत के वसुधैव कुटुम्बकं के मंत्र की सराहना की और कहा कि जो लोग मजहब को नहीं जानते, वहीं नफरत फैलाते हैं, टकराव पैदा करते हैं तथा आतंकवाद के रास्ते को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा कि हम सबको दुनिया के सामने खड़े इस खतरे को बहुत गम्भीरता से लेना होगा और मकाहब को समझना होगा।
इस्लाम की शिक्षाओं को समझना जरूरी है। उसमें लिखा है कि पड़ोसी से प्रेम करना चाहिए। उन्होंने मजहब के बहाने टकराव के रास्ते को बढ़ावा देने वालों पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि मजहब अलग-अलग संस्कृतियों एवं सभ्यताओं को जोड़ता है। यह मानवीय विविधता का पोषक है। जॉर्डन के सुल्तान अब्दुल्ला द्वितीय बिन अल हुसैन ने आतंकवाद के खिलाफ जारी विश्वव्यापी संघर्ष को केवल नफरत फैलाने वाली ताकतों के विरुद्ध लड़ाई करार देते हुए आज कहा कि हमारी युवा पीढ़ी को इंटरनेट पर घृणा को बढ़ावा देने वाले प्रचार से बचाने की जरूरत है। खुदा की निगाह में सबका महत्व है और यही साझी मानवीय विरासत हमारा मजहब है। जॉर्डन के शाह ने कहा कि पूरी दुनिया में एक चौथाई मुसलमान हैं जो सहिष्णुता पर आधारित मजहब है जो मोहम्मद के संदेश को लेकर आगे बढ़ा है कि अन्य लोगों के प्रति दयालु एवं कृपालु बनो। उन्होंने कहा कि मुसलमान का फर्ज है कि जिनकी सुरक्षा कोई न करे, वे उसकी सुरक्षा करें। किसी अनजान व्यक्ति को उसी प्रकार से पनाह देए जैसे किसी अपने को कठिनाइयों में दी जाती है। उन्होंने कहा कि इस्लाम विश्व में संवाद एवं शांति का संदेश फैलाने के लिए है। हमारा संकल्प होना चाहिए कि हम हर किसी के लिए सर्वसमावेशी और सद्भावपूर्ण बने चाहे वे हिंदू हों या कोई और। उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकं एक बहुत बुद्धिमानी भरी बात है और इस्लाम के मूल्यों के अनुरूप है।