भाजपा को रोकने के लिए साथ आये सपा, बसपा
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी ने गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थन की घोषणा की। बसपा इस संबंध में बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से गोरखपुर और इलाहाबाद के जोनल को-ऑर्डिनेटरों को निर्देश पहले ही दे दिए थे। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार दोनों दलों के एक साथ आने पर पिछड़े, दलित और मुसलमानों का बेहतरीन कम्बिनेशनश बनेगा। इन तीनों की आबादी राज्य में करीब 70 फीसदी है। तीनों एक मंच पर आ जाएंगे तो भाजपा के लिए मुश्किल हो सकती हैं। देशभर में लगातार बढ़ रहे भारतीय जनता पार्टी के विजय रथ को रोकने के लिए प्रदेश में दोनों बड़े दल एक बार फिर साथ आए।
इससे पहले वर्ष 1993 में बसपा के तत्कालीन अध्यक्ष कांशीराम और मुलायम सिंह यादव की पार्टी सपा ने मिलकर चुनाव लड़ा। इसका नतीजा रहा कि 1993 में सपा, बसपा गठबंधन ने सरकार बनाई और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री चुने गए। सरकार करीब डेढ़ साल चली कि इसी बीच दो जून 1995 को लखनऊ में स्टेट गेस्ट हाऊस कांड हो गया। बसपा अध्यक्ष मायावती के साथ सपाइयों ने दुर्व्यवहार किया था। इसके बाद गठबंधन टूट गया और भाजपा के सहयोग से मायावती पहली बार मुख्यमंत्री बन गईं, तभी से सपा, बसपा के सम्बन्धों में कटुता गई थी, लेकिन राजनीतिक लाभ के लिये विचारों और संकल्पों से समझौता करना राजनीतिक दलों की विषेश पहचान बन गयी है।