यूपी में विपक्षी पार्टियों ने आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व महागठबंधन की ओर एक और कदम बढ़ा दिया है। यहां राज्यसभा की 10 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में कांग्रेस ने बसपा प्रत्याशी भीमराव अम्बेडकर को अपना समर्थन दे दिया है। इसकी घोषणा शनिवार को कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में की। उन्होंने कहा, इसके पीछे का मकसद सांप्रदायिक ताकतों को कमजोर करना है। इसके लिए हाईकमान से भी हरी झंडी मिल गई है।
लल्लू ने विधान भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, भाजपा लोकतंत्र को न सिर्फ लगातार कमजोर करने बल्कि उसका गला घोंटने पर आमादा है। किसान बदहाल हैं। भर्ती प्रक्रिया ठप होने से युवा भी निराश हैं। इसलिए कांग्रेस ने यूपी प्रभारी व राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद से वार्ता करके यह फैसला किया है कि वह उप्र में राज्यसभा के लिए 23 मार्च को होने वाले मतदान में बसपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करेगी।
उन्होंने बताया कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सलाह मशविरे के बाद तय किया गया था कि हम बसपा उम्मीदवार को वोट देंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस विधायक नरेश सैनी, मसूद अख्तर, सोहिल अख्तर अंसारी और राकेश सिंह भी मौजूद थे।
राज्यसभा चुनाव में भाजपा के आठ प्रत्याशियों के साथ ही सपा के एक प्रत्याशी की जीत तय मानी जा रही है। कांग्रेस की इस चाल से बसपा प्रत्याशी अम्बेडकर भी मजबूत स्थिति में आ गए हैं। बसपा के पास अपने 19 विधायक हैं। उसके प्रत्याशी को जीत के लिए कुल 37 मतों की जरूरत है। सपा के पास 47 विधायक हैं और उसके प्रत्याशी जया बच्चन को आवश्यक मत पड़ने के बाद भी दस वोट बचेंगे। कांग्रेस के सात और रालोद का एक वोट मिलने से बसपा उम्मीदवार जीतने की स्थिति में होगा।
बसपा को समर्थन न देते तो क्या करते
घोषित तौर पर सांप्रदायिकता के खिलाफ संघर्ष, पर अंदरखाने विकल्पहीनता के कारण मजबूरी का सौदा। कुल मिलाकर यूपी राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की यही स्थिति है। पार्टी के वरिष्ठ नेता भी कहते हैं-बसपा को समर्थन न करते तो क्या करते।
यूपी में पार्टी अपना एक भी प्रत्याशी जिताने की स्थिति में नहीं है। सपा के अलावा कोई भी विपक्षी पार्टी जीत के जादुई ‘37’ के आंकड़े से कोसों दूर है। अब ऐसे में अगर कांग्रेस बसपा को समर्थन नहीं देती तो ज्यादा संभावना इस बात की थी कि उसके कई वोट भाजपा के पक्ष में चले जाते। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में अब भी उसके 1-2 वोट सत्ताधारी दल को मिलने की चर्चा है। यही वजह है कि भाजपा पर्याप्त वोट न होने पर भी नवें प्रत्याशी पर दांव लगाने की योजना बना रही है।
बसपा सुप्रीमो मायावती के इस बयान ने कि राज्यसभा चुनाव में वे कांग्रेस के साथ ‘एक हाथ ले और दूसरे हाथ दे’ की नीति पर चलने के लिए तैयार है, कांग्रेस को इस निर्णय में फायदा दिखा। मसलन, अगर कांग्रेस यूपी में उनके प्रत्याशी का समर्थन करती है तो बसपा के विधायक मध्य प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करेंगे। इन स्थितियों में कांग्रेस हाईकमान ने बसपा को समर्थन देने का फैसला विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू को सुनाया। चूंकि राष्ट्रीय स्तर पर इससे बसपा के साथ गठबंधन का कोई स्पष्ट संदेश न जाए, इसलिए प्रस्ताव लल्लू की ओर से रखवाया गया।