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यमुना एक्सप्रेस वे पर 7 साल में 705 मौतें

लखनऊ : यमुना एक्‍सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (YEIDA) के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां हादसे होने की तस्‍वीर भयावह है। 2012 से 2018 तक इस हादसों के हाईवे पर हुए हादसों में 705 लोगों की मौत हो चुकी है। 2012 में शुरू हुए यमुना एक्‍सप्रेस में अब तक 2065 लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। रोजाना इस पर से गुजरने वाले लोगों में से पांच लोग या तो मौत का शिकार होते है या फिर अस्‍पताल पहुंचते हैं। आंकड़ों के अनुसार यमुना एक्‍सप्रेस वे पर 2012 से 2018 के बीच 4,900 सड़क हादसे हुए। इन सड़क हादसों में 8,205 लोग प्रभावित हुए, जिनमें से 7,500 लोग घायल हुए और 705 लोगों ने अपनी जान गंवाई। YEIDA के सीईओ अरुण वीर सिंह ने बताया कि यमुना एक्‍सप्रेस वे पर लगातार हो रहे सड़क हादसों की प्रमुख वजह तेज रफ्तार वाहन चलाना है, उनके अनुसार यमुना एक्‍सप्रेस वे पर हादसों का शिकार हुए वाहनों की पड़ताल में हादसे के वक्‍त उनके तेज रफ्तार में होने के सुबूत मिले हैं, सभी वाहनों के स्‍पीडोमीटर की सुइयां 160 से 180 किमी/घंटा पर अटकी मिलीं। अरुण ने बताया कि हाईवे पर रात के समय सर्वाधिक सड़क हादसे हुए। रात एक बजे से तीन बजे के बीच तक करीब 82% सड़क हादसे दर्ज किए गए।

वहीं आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2012 से लेकर 2017 के बीच यमुना एक्‍सप्रेस वे पर 2.3 करोड़ ओवर स्‍पीड वाले वाहनों की पहचान हुई, लेकिन इनमें से महज 18 हजार वाहनों का चालान ही काटा गया। वहीँ यमुना एक्‍सप्रेस वे पर सभी वाहनों के लिए स्‍पीड लिमिट भी तय है, लेकिन अधिकांश वाहन चालक इनका उल्‍लंघन ही करते हैं। यमुना एक्‍सप्रेस वे पर कार के लिए स्‍पीड लिमिट 100 किमी/घंटा और भारी वाहनों के लिए स्‍पीड लिमिट 60 तय है। गौतम बुद्ध नगर के एसपी ट्रैफिक अनिल कुमार झा के अनुसार वाहन 100 किमी/घंटा की स्‍पीड से ऊपर पहंचने पर स्‍वत: अनियंत्रित होना शुरू हो जाता है। वहीं यमुना एक्‍सप्रेस वे पर लोगों को गति सीमा के प्रति सचेत करने और जानकारी देने के लिए जगह-जगह संकेतक लगे हैं। वाहन चालक उनको नजरअंदाज करते हैं और वाहन को तेज रफ्तार में दौड़ाते हैं। अथॉरिटी ने दावा किया है कि यमुना एक्‍सप्रेस वे पर लोगों को जागरूक करने के लिए एलईडी स्‍क्रीन भी लगाई गई हैं। इनमें लोगों को जागरूक करने के लिए संदेश चलते हैं। मेटल बैरियर लगे हैं।

वाहनों पर नजर रखने के लिए 55 कैमरे और 19 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। साथ ही कंट्रोल रूम में लगी स्‍क्रीनों पर उनकी निगरानी होती है, उनके मुताबिक आपातकालीन स्थिति में टोल फ्री नंबर के जरिये सेवाएं मुहैया कराई जाती हैं। Highway Sathi नामक App के जरिये रिकवरी वैन, एंबुलेंस और रिपेयर वाहन भेजे जाते हैं। वहीँ दूसरी तरफ यह भी माना जाता है कि एयर प्रेशर अधिक होने से सीमेंट रोड पर वाहन चलाने से टायर गर्म होकर फट जाते हैं। अरुण के मुताबिक ऐसा सिर्फ पुराने टायरों और तेज रफ्तार वाहनों में होता है। सामान्‍य रूप से ऐसा होना संभव नहीं, ऑटो एक्‍सपर्ट रनोजॉय मुखर्जी के अनुसार कंक्रीट की सड़क पर वाहन चलाते समय टायरों की फिटनेस हमेशा अच्‍छी रखें। अलग से रबड़ चढ़े टायर जल्‍दी फटते हैं। टायरों में नाइट्रोजन भरकर टायरों को फटने से रोका जा सकता है, लेकिन यह उपाय सौ प्रतिशत कारगर नहीं होता। जेपी इंफ्राटेक के एजीएम (ऑपरेशन) संतोष पवार ने सड़क हादसों के कुछ कारण गिनाए। पहला तो स्‍पीड लिमिट से अधिक रफ्तार में वाहन चलाना है, अधिकांश वाहन चालक ऐसा ही करते हैं, उनके मुताबिक दूसरा कारण चालक की नींद लग जाना भी है। संतोष का कहना है कि अगर लोग पेट भर खाना खाने के बाद यमुना एक्‍सप्रेस वे पर वाहन चलाते हैं तो उन्‍हें रास्‍ते में नींद लग जाना आम बात है. इससे वाहन अनियंत्रित होते हैं और सड़क हादसे का शिकार बनते हैं।

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