अयोध्या मामला: SC ने सभी याचिकाएं खारिज की, 23 मार्च को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में दायर सभी हस्तक्षेप याचिकाअों को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने मामले में अपर्णा सेन, श्याम बेनेगल और तीस्ता सीतलवाड़ सहित 32 दखल आवेदनों को खारिज कर दिया है। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ‘मेरे मौलिक अधिकार मेरे संपत्ति के अधिकारों की तुलना में अधिक हैं’। बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मसले को कोर्ट के बाहर सुलझाने के मुद्दे पर कहा कि वह कोर्ट के बाहर आपसी सेटलमेंट के लिये किसी को नियुक्त नही करने जा रहे है। लेकिन अगर कोई समझौता के लिए वार्ता कर रहा है तो वह उसे रोक भी नही रहे है। कोर्ट ने कहा कि अगर दोनों पक्ष के वकील कोर्ट मे खड़े होकर कहते हैं कि हमने मामले को आपसी समझौते से सुलझा लिया है तो कोर्ट उसे रिकार्ड करेगा। लेकिन कोर्ट अपनी तरफ़ से नही कहेगा। अब मामले में अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी।
हाईकोर्ट आदेश के खिलाफ सबसे पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लिहाजा पहले बहस करने का मौका उन्हें मिल सकता है। इस मामले से जुड़ें 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषषाओं में हैं, जिस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेजों को अनुवाद कराने की मांग की थी।
बता दें कि इससे पहले 8 फरवरी को अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई हुई थी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर की पीठ में सभी पक्षों ने दस्तावेजों के जरिए अपना पक्ष रखा था।
दस्तावेज तैयार करने का दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को दो हफ्ते में दस्तावेज तैयार करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह साफ किया कि इस मामले में अब कोई नया पक्षाकार नहीं जुड़ेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था।