इनसाइड स्टोरी: कैम्ब्रिज एनालिटिका को गुजराती कारोबारी से मिला कांग्रेस को हराने के लिए पैसा!
फेसबुक डेटा लीक का मामला उजागर होने के बाद भारत में इस पर जमकर राजनीति होने लगी है. बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं कि किसने फेसबुक डेटा का इस्तेमाल किया और किसने नहीं. इस बीच चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि कैम्ब्रिज एनालिटिका की पैरेंट कंपनी SCL भारत में डबल गेम खेल रही थी. वह काम तो कांग्रेस को जिताने के लिए करने जा रही थी, लेकिन किसी और के इशारे पर उसे हराने के लिए काम करने लगी.
गाजियाबाद के इंदिरापुरम की शिप्रा सन सिटी के एक छोटे से फ्लैट से भारत में कैम्ब्रिज एनालिटिका के कारोबार का संचालन तत्कालीन सीईओ अलेक्जैंडर निक्स और उनके भारतीय साझेदार मिलकर करते थे. साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कैम्ब्रिज एनालिटिका (CA) की पैरेंट कंपनी स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशंस लेबोरेटरीज (SCL) ने भारत में अपना बेस बनाने का निर्णय लिया.
अमरीश त्यागी की कंपनी से साझेदारी
SCL के तत्कालीन इंडिया डायरेक्टर अवनीश राय ने इसका खुलासा किया है कि कंपनी ने भारत में क्या गुल खिलाए. राय ने बताया कि कंपनी के पहले ग्राहक केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा थे, जो 2009 के चुनावों में खुद को मिली हार का विश्लेषण चाहते थे. जेडीयू नेता केसी त्यागी के बेटे अमरीश त्यागी ने अवनीश राय के साथ मिलकर काम शुरू किया.
इसके बाद साल 2011 में सीए के तत्कालीन सीईओ ब्रिटेन के अलेक्जैंडर निक्स ने एक और व्यक्ति अलेक्जैंडर ओकेज के साथ मिलकर भारत में राजनीतिक दलों के लिए डेटा कलेक्शन का काम शुरू किया और उन्होंने अवनीश-अमरीश की कंपनी ओवलेनो के साथ पार्टनरशिप की.
साल 2012 में राय ने एक शीर्ष बीजेपी नेता के लिए आंकड़े जुटाए थे, जिसमें उनसे कहा गया था कि यूपी चुनावों के लिए बूथ, उम्र और जाति के आधार पर मतदाताओं के बारे में जानकारी जुटाएं.
राहुल गांधी को दिया गिफ्ट
राय ने बताया कि निक्स ने 2012 के चुनाव से पहले 5 लोकसभा क्षेत्र में काम कर उसका डेटा बेस राहुल गांधी को गिफ्ट करने का निर्णय लिया. वह सोचता था कि इस तरह से 2014 के चुनाव से पहले वह कांग्रेस से बड़ा कॉन्ट्रैक्ट हासिल कर लेगा. उसको लगता है कि आठ साल से सत्ता में रही पार्टी उसे अच्छा पैस दे सकती थी.
ब्रिटेन से आई एक संदिग्ध लड़की
SCL ने एक सर्वे के लिए प्रश्न तैयार किए और इसके आधार पर दोनों कंपनियों ने मिलकर डेटा जुटाया. उदाहरण के लिए इसमें मतदाताओं से सवाल किए गए कि वे तमाम घोटालों के बारे में क्या सोचते हैं और इससे उन्हें कितनी चोट पहुंचती है. लेकिन जब SCL के ब्रिटेन ऑफिस से एक भारतीय मूल की लड़की काम करने के लिए आई तो एक अलग ही खेल का पता चला.
गुजराती कारोबारी ने दिया पैसा!
राय और टीम के अन्य लोगों ने सवाल किया कि सर्वे के सवाल कांग्रेस विरोधी क्यों बनाए गए हैं, इस पर लड़की के मुंह से निकल पड़ा कि उसकी टीम कांग्रेस को हराने के लिए आई है. राय का माथा ठनक गया. बाद में यह पता चला कि ब्रिटेन की इस टीम को गुजरात के एक कारोबारी ने पैसा दिया है, जो कांग्रेस को हराना चाहते हैं. यह एक डबल गेम था. अलेक्जैंडर निक्स और उनकी कंपनी कांग्रेस से डील करने की कोशिश कर रही थी, यानी वह पैसा तो कांग्रेस के लिए माहौल बनाने के लिए लेती, लेकिन वास्तव में उसे हराने के लिए काम करती. इस मसले पर ब्रिटिश और भारतीय साझेदारों में विवाद हुआ और दोनों के रास्ते अलग हो गए.
एक अधिकारी की संदिग्ध मौत
दिलचस्प यह है कि भारतीय साझेदार से न सिर्फ भारत के बारे में डेटा जुटाने, विश्लेषण कराने का काम किया गया, बल्कि उसे घाना और केन्या जैसे चुनावों का भी आउटसोर्स किया गया. राय और त्यागी ने SCL की ब्रिटिश टीम के एक सदस्य डैन मुरेसन के साथ काम किया था. बाद में केन्या के एक होटल में मुरेसन की कथित तौर पर हार्ट अटैक से मौत हो गई. मुरेसन की जगह पर काम करने वाले क्रिस्टोफर विली भी बाद में व्हिसिल ब्लोअर बन गए और उन्होंने मुरेसन की हत्या की आशंका जाहिर की है.