जानिए दूर्वा खास लगाने के फायदे, भगवान गणेश को है विशेष प्रिय
प्राचीन मान्यतानुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब देवतागण अमृत कलश लेकर जा रहे थे, तो उस अमृत कलश से छलककर अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर मौजूद दूर्वा पर गिरी थीं, इसलिए दुर्वा घास अमर होती है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के (9-26 ) अध्याय में कहा है, ‘जो भी भक्ति के साथ दूर्वा की एक पत्ती, एक फूल, एक फल या पानी के साथ मेरी पूजा करता है, मैं उससे प्रसन्न हो जाता हूं।’ पौराणिक संदर्भों से ज्ञात होता है कि क्षीर सागर से उत्पन्न होने के कारण भगवान विष्णु को यह अत्यंत प्रिय रही है।
दूर्वा धार्मिक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही इसमें औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। यह कैल्शियम, फॉस्फोरस, फाइबर, पोटैशियम और प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। दूर्वा ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती है। इसका प्रयोग आयुर्वेदिक दवा बनाने में भी किया जाता है। कई शोधों से यह पता चला है कि दूर्वा में ग्लाइसेमिक गुण होता है, जो रक्त में ग्लूकोज के स्तर को कम कर सकता है। यह मधुमेह रोग से लड़ने में मदद करती है।
आयुर्वेद के अनुसार, इसका सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को उन्नत करने में भी सहायता करता है। एंटीवायरल और एंटीमाइक्रोबियल (रोगाणुरोधी-बीमारी को रोकने की क्षमता) गुण होने के कारण यह शरीर की किसी भी बीमारी से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है।