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पाक में छह साल बाद आई मलाला यूसुफजई ने कश्मीर पर क्या बोला, जानिए

बीस साल की मलाला लगभग छह सालों के बाद इस हफ्ते अपने देश पाकिस्तान लौटीं। पाकिस्तान के स्वात की रहने वाली मलाला को चरमपंथी संगठन तालिबान ने अक्तूबर 2012 में गोली मार दी थी। उस वक्त वो बच तो गईं, लेकिन इलाज के लिए उन्हें लंदन ले जाना पड़ा था।पाक में छह साल बाद आई मलाला यूसुफजई ने कश्मीर पर क्या बोला, जानिए

इलाज होने के बाद पढ़ाई के लिए वो लंदन में ही रहने लगी थीं। इस बीच उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार भी दिया गया। ये पुरस्कार पाने वाली वो न केवल पहली पाकिस्तानी नागरिक हैं बल्कि दुनिया की सबसे कम उम्र की शांति पुरस्कार विजेता हैं।

‘वेलकम होम मलाला’

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने मलाला और उनके परिवार का स्वागत किया। अखबार ‘एक्सप्रेस’ ने सुर्खी लगाई, “वेलकम होम। दुनिया ने इज्जत दी, हम भी देंगे: प्रधानमंत्री” अखबार के मुताबिक पीएम अब्बासी ने मलाला की तारीफ करते हुए कहा, “मलाला दुनिया में पाकिस्तान की नुमाइंदगी करती हैं। लडकियों की शिक्षा के लिए मलाला के कामों को भुलाया नहीं जा सकता है। मलाला के मिशन की कामयाबी के लिए हमारा सहयोग जारी रहेगा।” अखबार ‘जंग’ ने मलाला के बयान को सुर्खी बनाते हुए लिखा है, “बस में होता तो मुल्क नहीं छोड़ती, मलाला भावुक हो गईं।”

अखबार के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए मलाला ने कहा, “शिक्षा, स्वास्थ और रोजगार पर सियासत नहीं होनी चाहिए। चाहती हूं कि पाकिस्तान में महिलाओं को सारे अधिकार मिलें।”

कश्मीर समस्या का हल बातचीत

मलाला ने ‘जियो’ टीवी को एक इंटरव्यू भी दिया। अखबार ‘जंग’ के मुताबिक इस इंटरव्यू में उन्होंने कश्मीर समस्या समेत पाकिस्तान और दुनिया के कई मसलों पर बातचीत की।अखबार के अनुसार कश्मीर समस्या का जिक्र करते हुए मलाला का कहना था, “कश्मीरियों का फैसला होगा कि वो आजादी चाहते हैं, भारत के साथ रहना चाहते हैं या पाकिस्तान का हिस्सा बनना चाहते हैं। इसमें किसी मुल्क को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। कश्मीरी बच्चों की सुरक्षा और स्कूल जाना उनका अधिकार है।”

उन्होंने आगे कहा कि कश्मीरियों ने अभी तक शांति नहीं देखी है और उन्हें शांति देनी चाहिए। मलाला ने कहा कि वो भारत और पाकिस्तान दोनों से अपील करेंगी कि कश्मीर समस्या का हल बातचीत से किया जाए।मलाला के पाकिस्तान वापसी पर बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जो उनका विरोध कर रहे हैं। पाकिस्तान के अखबारों में भी उन्हें उतनी जगह नहीं मिली जितना कि उम्मीद की जा रही थी और सोशल मीडिया पर तो कई लोग उनके खिलाफ एक तरह से अभियान चला रहे हैं।

‘जियो’ टीवी के इंटरव्यू के दौरान जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था, “मेरे पक्ष में हों या विरोध में, मैं खबरें नहीं देखती। पढ़े-लिखे समझदार लोगों की तरफ से विरोध होता है तो हैरत होती है। लेकिन अगर किसी को सच से तकलीफ है तो मैं कुछ नहीं कर सकती।”

पीएम अब्बासी की चीफ जस्टिस से मुलाकात 

मलाला की पाकिस्तान वापसी के अलावा पाकिस्तानी सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच जारी रस्साकशी की खबरें भी सुर्खियों में रहीं।प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस साकिब निसार से मुलाकात की। इसको लेकर पाकिस्तान में खूब चर्चा हो रही है। अखबार ‘नवा-ए-वक्त’ के मुताबिक पीएम अब्बासी ने अपने विरोधियों को जवाब देते हुए कहा, “मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात पर लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री फरियादी बन कर गए। मैं मुल्क का फरियादी बन कर गया। जनता की तकलीफें दूर करने के लिए चीफ जस्टिस से मिला। उनसे कोई निजी बात नहीं की।”

अखबार ‘दुनिया’ के मुताबिक प्रधानमंत्री ने अपना बचाव करते हुए कहा, “अगर मुल्क में समस्याएं हैं तो मुझ पर लाजिम है कि मैं सारी संस्थाओं के मुखिया से संपर्क करूं। अगर हम एक-दूसरे से बात नहीं करेंगे तो मुल्क कैसे चलेगा।”

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