जानें कैसे समय को कहा जाता है शुभ मुहुर्त
‘मुहूर्त’
दिन-रात के 30 मुहुर्त होते हैं। जिनमें ब्रह्म मुहूर्त सबसे बेहतर है। इस समय कोई भी काम किया जा सकता है।
‘चौघड़िया’
दिन और रात में चौघड़िया सात प्रकार की होती है। इसमें शुभ, अमृत और लाभ चौघड़िया को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
‘दिन’
वैदिक नियमों के मुताबिक दिन का समय श्रेष्ठ होता है। इस पहर कोई भी शुभ काम और पूजन किया जा सकता है।
‘वार’
सात वारों में गुरुवार को श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि गुरु की दिशा ईशान है और ईशान में ही देवता निवास करते हैं।
‘पक्ष’
हर महीने में 15-15 दिन के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दो पक्ष होते हैं। इसमें शुक्ल पक्ष को श्रेष्ठ माना जाता है।
‘माह’
माह चैत्र, मार्गशीर्ष, माघ, फाल्गुन, ज्येष्ठ, श्रावण, अश्विनी श्रेष्ठ हैं लेकिन चैत्र व कार्तिक सर्वश्रेष्ठ है।
‘एकादशी’
हर पक्ष में यानी कि 15 दिन में एक एकादशी पड़ती है। इनमें कार्तिक मास की देव प्रबोधिनी एकादशी को सर्वश्रेष्ठ है।
‘पंचमी’
हर माह में तिथियों के मुताबिक एक पंचमी पड़ती हैं। इसमें माघ में बसंत पंचमी और सावन माह की नाग पंचमी श्रेष्ठ है।
‘ऋतु’
साल में छह ऋतुओं का आगमन होता है। इसमें में वसंत और शरद ऋतु ही सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं।
‘संक्रांति’
सूर्य की 12 सक्रांतियां पड़ती हैं, लेकिन इनमें मकर संक्रांति सर्वश्रेष्ठ है। इस दौरान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है।
‘नक्षत्र’
पुष्य , श्रावण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, रेवती, अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र शुभ है।