लखनऊ : चक्रासन दो शब्द मिलकर बना है-चक्र का अर्थ पहिया होता है और आसन से मतलब है योग मुद्रा। इस आसन की अंतिम मुद्रा में शरीर पहिये की आकृति का लगता है इसलिए यह नाम दिया गया है। वैसे तो चक्रासन के बहुत सारे लाभ है फिर भी अगर आपको अपनी बुढ़ापे को हो रोकना और जवानी को बरकरार रखना हो तो चक्रासन योग का अभ्यास जरूर करें।
कैसे करें : सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं।
घुटने मोड़ें तथा एड़ियों को नितंबों से स्पर्श कराते हुए पैरों को 10 -12 इंच की दूरी पर रखें।
बांह उठाएं और कोहनियां मोड़ लें।
हथेलियों को कंधों के ऊपर सिर के निकट जमीन पर रख लें।
सांस लें तथा धीरे-धीरे धड़ को उठाते हुए पीठ को मोड़ें।
धीरे से सिर को लटकता छोड़ दें एवं बांहों तथा पांवों को यथासंभव तान लें।
धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े।
जब तक संभव हो सके इस मुद्रा बनाए रखें।
उसके बाद शरीर को इस तरह नीचे करते हुए आरंभिक अवस्था में लौटें कि सिर जमीन पर ही टिका रहे। शरीर के शेष भाग को नीचे लाएं तथा विश्राम करें।
यह एक चक्र हुआ।
इस तरह आप चार से पांच चक्र करें।
चक्रासन योग के अनगिनत फायदे हैं। यहां पर आप को इसके कुछ खास लाभ का जिक्र किया जा रहा है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि आप इस योगाभ्यास से ज़्यदा से ज़्यदा लाभ उठा सकते हैं अगर ऊपर बताये गए तरीके का अनुसरण करते हैं।
अगर आप पेट की चर्बी से हैं परेशान तो चक्रासन आपके लिए एक बेहतरीन योगाभ्यास है। इस आसन में इतनी क्षमता है की यह आपके पेट की चर्बी को कम कराते हुए इसे फ्लैट कर दे। एक सप्तहा के अंदर ही आपको इसके अच्छे नतीजे सामने आने लगेंगे। कहा जाता है कि यह आसन करने से वृद्धावस्था देर से आती है और आपके युवा अवस्था को बरकरार रखती है। आप यह भी कह सकते हैं कि आपके उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को यह योगाभ्यास धीमा कर देता है। इस आसन में जब आप अपने सिर को नीचे लटकाते है तो खून का प्रवाह ज्यादा हो जाता है जो आपके चेहरे के निखार में बहुत मददगार है। आजकल की जीवन शैली में अक्सर लोग स्पाइन की समस्याएं से जूझ रहे हैं। लेकिन यह आसन का अभ्यास आपको मेरुदंड की हर परेशानियों से निजात दिला सकता है। यह आपके रीढ़ की हड्डी को लचीला एवं मजबूत बनाता है। आप मोटी कमर से परेशान ही तो चक्रासन का अभ्यास करें। यह आपके छाती को चौड़ा करते हुए फेपड़े से सम्बंधित परेशानियों को दूर करता है। यह आपके कंधों एवं घुटनों को मजबूत बनाता है। चक्रासन आपके स्वस्थ रखते हुए पाचन संबंधी परेशानियों को दूर करता है। यह आपके ह्रदय को स्वस्थ रखता है। आपके शरीर में स्फूर्ति ले कर आता है।
सावधानी : यह आसन थोड़ा कठिन है कभी भी इसे जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।
हृदय की समस्याओं में इसको नहीं करनी चाहिए। उच्च रक्तचाप में इसके करने से बचे।
चक्कर आने की स्थिति में इसे नहीं करनी चाहिए। पेट में सूजन आने तथा हर्निया से पीड़ित व्यक्तियों को यह यह आसन नहीं करना चाहिए। ज़्यदा कमर दर्द पैर इसका अभ्यास मत करें। जो चक्रासन न कर पाए उसे अर्धचक्रासन करनी चाहिए। हर्निया, नेत्र दोष एवं गर्दन की दर्द में इसे न करें।