नई दिल्ली : क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर से जुड़ी कुछ अहम बातें उन पर लिखी किताब ‘विनिंग लाइक सचिन: थिंक ऐंड सक्सीड लाइक तेंडुलकर’ के जरिए अब सामने आ रही हैं।
गौरतलब है कि 24 अप्रैल 1973 में जन्मे सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट में वह मुकाम छुआ जिस तक हर क्रिकेटर पहुंचने का सपना देखता है। 463 वनडे मुकाबलों में उन्होंने 18426 रन बनाए। वहीं टेस्ट क्रिकेट (200 मैच) में उनके नाम 15921 रन हैं। उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ खेला था। सचिन के नाम वनडे में 49 शतक हैं, जो अपने आप में रिकॉर्ड है। किताब से सचिन के पिता रमेश तेंदुलकर के उस फैसले के बारे में पता लगा है जिसने न सिर्फ सचिन की जिंदगी बदली बल्कि भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा देने की ओर नींव रखी थी। 1984 की गर्मियों में सचिन के पिता प्रोफेसर रमेश तेंदुलकर का बेटे के स्कूल बदलने का फैसला फायदेमंद रहा। मुंबई के बांद्रा आईईएस स्कूल में क्रिकेट टीम नहीं थी, गुरु रमाकांत आचरेकर ने उन्हें सलाह दी कि सचिन को शारदा आश्रम विद्या मंदिर भेजें। पिता ने ऐसा ही किया और इसके बाद जो हुआ वह किसी से छिपा नहीं है। किताब में बताया गया है कि सचिन के घर से शारदा आश्रम विद्या मंदिर के लिए कोई सीधी बस नहीं थी, इस वजह से उन्हें सुबह-सुबह जल्दी उठकर बस बदल-बदलकर स्कूल पहुंचना होता था।
किताब में लिखा गया है कि आमतौर पर 7-8वीं क्लास के बच्चे को इंटर स्कूल क्रिकेट टीम में लिया जाता था, लेकिन सचिन छठी क्लास में ही उस टीम का हिस्सा थे। किताब के मुताबिक, सचिन के पिता ने उनसे कभी भी यह नहीं कहा था कि तुम क्रिकेट सिर्फ छुट्टियों में खेला करो और बाकी वक्त पढ़ाई में लगाओ। अगर ऐसा हुआ होता तो शायद सचिन वह नहीं बन पाते जिस रूप में हम उन्हें आज देखते हैं।