समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और मायावती के उत्तर प्रदेश में गठबंधन की ख़बरें तो आती रहती हैं, लेकिन इस बार अखिलेश और मायावती का कर्नाटक दौरा चर्चा का विषय है. 12 मई से कर्नाटक में होने वाले विधान सभा चुनाव के पहले उत्तर प्रदेश के इन दो दिग्गजों ने कर्नाटक का दौरा किया है, जिस पर भाजपा सरकार ने निशाना साधा है.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा है कि अखिलेश-मायावती का कर्नाटक दौरा राजनीतिक पर्यटन से बढ़कर कुछ भी नहीं है. उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव से पहले कर्नाटक की जनता यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का इंतज़ार कर रही है, वो उनसे बात करना चाहती है. लेकिन अखिलेश और मायावती के कर्नाटक दौरे का क्या औचित्य है ?
त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि सपा-बसपा जाति की राजनीति करती है, उनके लिए कर्नाटक में कोई जगह नहीं है. जब उनके अपने गढ़ उत्तर प्रदेश में ही उनकी हालत खस्ता है तो कर्नाटक की क्या बात करें, कर्नाटक में तो उनकी पार्टी का कोई आधार भी नहीं है. उन्होंने कहा कि मुलायम यादव से कमान लेकर अखिलेश ने सपा को कमजोर कर दिया है, वहीं बसपा के संस्थापक सदस्य ही पार्टी छोड़ रहे हैं. ऐसे में इन दोनों को अपनी पार्टियों पर ध्यान देने की जरुरत है, राजनीति के नाम पर पर्यटन करने की नहीं.