सम्भालो पर्यावरण, ना तुम प्रदूषण फैलाओ।
अपना और अपनों का यह जीवन बचाओ।
मिल कर बचाए वृक्ष ,धरती, हवा और पानी को,
ज़रूरत है इस की हर जीव-जंतु और प्राणी को।
मानों कुदरत को, ना करे इस से खिलवाड़ कोई,
इस के आगे तो दोस्तों साइंस भी है फेल हुई।
बच्चे भी तरसेंगे देखने को, कौआ और चिड़िया को,
क्या दे कर जाओगे आने वाली नवीं पीढ़ी को।
इज्जत करो कुदरत की और अनमोल बातो की,
नहीं तो सुनते रहेंगे कहानी जंगली रातों की।
कितने ही सुंदर पहाड़, तालाब और झरने हैं,
मिट गए फिर ना यह किसी से भी बनने हैं।
मंदीप साफ़-सुथरा रखो आपने आस-पास को,
दीजिए मान-सतिकार हमेशा आपने मां-बाप को।
- मनदीप गिल्ल