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59 फलस्तीन नागरिकों के मारे जाने के बाद भी, अभी जारी है अमेरिकी दूतावास का विरोध जारी

एजेंसी: इस्राइल में अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से येरुशलम स्थानांतरित करने के दौरान भड़के खूनी संघर्ष में 59 फलस्तीन नागरिकों के मारे जाने के बाद भी गाजा पट्टी इलाके में विरोध के सुर कम नहीं हुए हैं। यहां एक तरफ फलस्तीनी लोग नकबा की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं जिसके तहत 1948 में इस्राइल निर्माण के वक्त आज ही के दिन सात लाख फलस्तीनी अपना घर बार यहां से छोड़कर भागे थे और दूसरी तरफ सोमवार को खूनी संघर्ष में मारे गए 59 लोगों का अंतिम संस्कार भी यहां होना है। दोनों ही परिस्थितियों में इलाके के भीतर कभी भी हिंसा भड़क सकती है।

फलस्तीन के लोगों ने अमेरिकी कदम को एक आपदा के रूप में लिया है और अमेरिका द्वारा येरुशलम को इस्राइल की राजधानी के बतौर मान्यता देने की कोशिशों की व्यापक स्तर पर निंदा करते हुए मंगलवर को आम हड़ताल की घोषणा की गई है। यहां सोमवार को मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार के वक्त भीड़ जुटना तय है। ऐसे में नकबा की वर्षगांठ आग में घी का काम करेगी। अमेरिका को भी आशंका है कि गाजा पट्टी में खूनी संघर्ष बढ़ सकता है। गाजा में हमास के उप प्रमुख खलील अल-हैय ने अमेरिका पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाते हुए नतीजा भुगतने की धमकी दी है।

फलस्तीन क्षेत्र पर शासन करने वाले इस्लामी गुट हमास ने सोमवार की घटना को नरसंहार बताया है जबकि वेस्ट बैंक में फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने भी इसे नरसंहार करार दिया है। संयुक्त राष्ट्र ने भी इसे मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन करार दिया है। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि खूनी संघर्ष में मारे गए 59 लोगों में से अधिकांश लोग इस्राइली स्नाइपर्स की गोली की भेंट चढ़े हैं जिनमें 16 साल से कम उम्र के आठ बच्चे भी शामिल हैं।

ट्रंप ने कुछ नहीं किया

वाशिंगटन के ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन थिंक टैंक में फलस्तीन नेतृत्व के पूर्व सलाहकार खालिद एल्गींडी ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मामले को शांत करने के लिए कुछ भी नहीं किया, उन्हें कम से कम इस्राइली सेना को फलस्तीन प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी करने से रोकना चाहिए था।

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