नई दिल्ली : एथलीट्स की ट्रेनिंग और कोचिंग का खर्चा उठाने वाला खेल मंत्रालय अब विदेशी कोचों को लेकर सख्ती के मूड में आ गया है। भारतीय एथलीट्स से जुड़े तमाम विदेशी कोचों का करार भले ही 2010 के टोक्यो ओलिंपक तक हो लेकिन अगर इसी साल होने वाले एशियन गेम्स में इन कोचों से जुड़े एथलीट्स के प्रदर्शन में सुधार नहीं दिखता है तो फिर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। स्पोर्ट्स अथॉरटी ऑफ इंडिया और खेल मंत्रालय ने सभी नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशंस को इस बात की इत्तिला दी है कि तमाम विदेशी कोचों को प्रदर्शन आकलन के दायरे में होगा। प्रदर्शन के आकलन की शर्त हर विदेशी कोच के करार में शामिल होती है लेकिन कुछ एक मौकों को छोड़कर इससे पहले इसका इस्तेमाल नहीं किया गया लेकिन अब अधिकारी कोचों के काम का आकलन करने के लिए सख्त हो गए है। खबर के मुताबिक एक अधिकारी का कहना है, वो दिन लद गए जब विदेशी कोच सालों तक अपना करार पूरा करते रहते थे, उन्हें जनता के पैसे से तनख्वाह दी जाती है तो फिर हर किसी की तरह उनकी जवाबदेही भी तय होनी चाहिए। एथलेटिक्स फेडरेशन के सैक्रेटरी एके वॉल्सन का कहना है कि फेडरेशन से जुड़े कोचों का एशियम गेम्स के के बाद आकलन किया जाएगा, जो कोच अच्छा नतीजा देंगे वहीं रुकेंगे और जिनके नतीजे खराब होंगे उन्हें इसकी वजह बतानी होगी जो अगर संतोषजनक नहीं हुई तो उन्हें जाना होगा।