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पाक पर भारी संकट: 10 हफ्ते में कंगाल हो जाएगा पाकिस्तान, अब चीन भी नहीं बचा पाएगा

पाकिस्‍तान चीन से लगातार कर्ज ले रहा है. साथ ही पड़ोसी देश में राजनीतिक हालत भी ठीक नहीं है. सेना और सरकार के बीच खींचतान लगातार जारी है. ऐसे में पाकिस्‍तान पर एक बड़ा संकट मंडरा रहा है.

पाकिस्तानी रुपये की वैल्‍यू इंटरनैशनल मार्केट में लगातार गिर रही है. 1 डॉलर के मुकाबले उसकी कीमत 120 रुपये तक गिर गई है. साथ ही पाकिस्‍तान में टूरिज्‍म में आई कमी की वजह से इंटरनैशनल करंसी का भंडार भी लगातार कम हो रहा है.

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास अब 10.3 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार है, जो पिछले साल मई में 16.4 अरब डॉलर था.

साथ ही पाकिस्तान दिन पर दिन कर्ज तले डूबता चला जा रहा है. रॉयटर्स एजेंसी के मुताबिक, पाकिस्तान का चीन और इसके बैंकों से इस वित्तीय वर्ष में लिया गया कर्ज करीब 5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के कगार पर है.

पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, पाकिस्तान भुगतान संकट के चलते चीन से 1-2 बिलियन डॉलर (68- 135 अरब रुपए) का नया लोन लेने जा रहा है. यह इस बात का एक और संकेत है कि पाकिस्तान बीजिंग पर आर्थिक तौर पर किस कदर निर्भर हो चुका है. विदेशी मुद्रा भंडार की खस्ता हालत- चीन से लिए गए इस नए लोन का इस्तेमाल पाकिस्तान अपने विदेशी मुद्रा भंडार की हालत ठीक करने में करेगा.

फ़ाइनैंशल टाइम्स का कहना है कि पाकिस्तान के पास जितानी विदेशी मुद्रा है वो 10 हफ़्तों की आयात के ही बराबर है. फ़ाइनैंशल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार विदेशों में नौकरी कर रहे पाकिस्तानी देश में जो पैसे भेजते थे उसमें गिरावट आई है.

इसके साथ ही पाकिस्तान का आयात बढ़ा है और चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर में लगी कंपनियों को भारी भुगतान के कारण भी विदेशी मुद्रा भंडार ख़ाली हो रहा है. चाइना पाकिस्तान कॉरिडोर 60 अरब डॉलर की महत्वाकांक्षी परियोजना है. विश्व बैंक ने अक्तूबर महीने में पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि उसे क़र्ज़ भुगतान और करेंट अकाउंट घाटे को खत्‍म करने के लिए इस साल 17 अरब डॉलर की ज़रूरत पड़ेगी. पाकिस्‍तान विदेश में बसे अपने लोगों को ज्‍यादा पैसे भेजने के लिए खास ऑफर देने की भी तैयारी कर रहा है.

पाकिस्तान का व्यापार घाटा भी लगातार बढ़ रहा है. पाकिस्‍तान के एक्‍सपोर्ट में लगातार कमी आई है. पिछले साल पाकिस्तान का व्यापार घाटा 33 अरब डॉलर का रहा था. कच्‍चे तेल की बढ़ती कीमत से पाकिस्‍तान को और ज्‍यादा आर्थ‍िक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.

आपको बता दें कि अमेरिका द्वारा सहायता कम करने की वजह से पाकिस्‍तान की निर्भरता चीन पर बढ़ी है. साथ ही पाकिस्तान में जुलाई महीने में आम चुनाव होने वाले हैं और चुनाव के बाद पाकिस्तान 2013 के बाद दोबारा एक बार फ‍िर खुद को आर्थ‍िक संकट से उबारने के लिए आईएमएफ़ की शरण में जा सकता है. 2013 में पिछली बार IMF ने पाक की 6.7 बिलियन डॉलर की मदद की थी.

आपको बता दें कि भारत को घेरने के लिए चीन लगातार पड़ोसी देशों की अस्‍थ‍िरता का फायदा उठा अपने कर्ज के जाल में फंसा रहा है. चीन अपने कर्ज के जाल में श्रीलंका को पहले ही फंसा चुका है. जनवरी में कर्ज के बोझ तले दबे हुए श्रीलंका ने चीन को रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल के लिए लीज पर दे दिया था. साथ ही नेपाल पर भी उसने निगाह बनाकर रखी हुई है.

आपको बता दें कि पाकिस्‍तान में ज्‍यादातर लोग इनकम टैक्‍स भी नहीं देते हैं. 2007 में पाकिस्तान में इनकम टैक्‍स भरने वालों की संख्या 21 लाख थी जो 2017 में घटकर 12 लाख 60 हज़ार हो गई.

पाकिस्तान के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार पाकिस्‍तान इस महीने हम 1-2 बिलियन डॉलर का फंड हासिल कर सकता है. यह फंड चीन द्वारा संचालित संस्थाओं से आएगा. एक दूसरे सरकारी अधिकारी ने डॉन से इस बात की पुष्टि की कि पाकिस्तान बीजिंग के साथ 2 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त फंडिंग के लिए बातचीत कर रहा है.

विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार की इस खस्ताहाल की मुख्य वजह केंद्रीय बैंक के रुपए की कृत्रिम मजबूती को बनाए रखने की कोशिश है. पाकिस्तानी रुपए की कीमत एक डॉलर की तुलना में करीब 119 तक पहुंच गई है. खाड़ी देशों से मदद-पाकिस्तान सऊदी अरब से भी मदद मांग सकता है. मध्य पूर्व एशिया के इस सहयोगी ने 2014 में पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को सहारा देने के लिए 1.5 बिलियन डॉलर का कर्ज दिया था.

अभी तक पाकिस्तान ने जितने भी कदम उठाए हैं, वे अपर्याप्त साबित हुए हैं और पाक की अर्थव्यवस्था पर उसका सीमित प्रभाव ही हुआ है. सारी कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी है. ऐसे में देखना है कि क्‍या आने वाले 10 हफ्ते में पाकिस्‍तान खुद को कंगाल होने से बचा पाएगा?

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