जीवनशैली

इन लोगों को कभी नही खाना चाहिए गाय का घी, वरना होंगे घटक नुकसान

पित्त के रोग अक्सर लोगों को जवानी में होते हैं जैसे छाती, पेट, और गले में जलन होना, रक्त की एसिडिटी का बढ़ना, हार्ट अटैक, खट्टी डकारे आना आँखों में जलन होना आदि पित्त के रोग हैं आइये हम आपको पित्त के रोगों से बचाव का सरल और आयुर्वेदिक तरीका बता रहे हैं जो आज से साढ़े तीन साल पहले वागभट्ट जी अपनी पुस्तक में लिखा था.

पित्त जिंदगी भर आपका ठीक रहे आपको तकलीफ ही न आए उसके लिए उन्होंने कहा है कि देसी गाय का शुद्ध घी खाएं पित्त को सम रखने के लिए वागभट्ट जी ने जो चीज बताई है वो है देसी गाय का घी, वैसे तो उन्होंने संक्दों चीजें बताई है लेकिन उनमें सबसे उत्तम और सबसे ऊपर जो चीज है वो है देसी गाय का शुद्द घी.

भैंस का घी सिर्फ एक ही केटेगरी के लोगों को खाना चाहिए जो कुश्ती लड़ते हैं माने जो पहलवानी करते हैं जो दंड बैठक लगाते हैं उनके लिए उन्होंने कहा हैं कि वो गाय का घी कभी न खाएं क्योंकि होना ही उनको भैंस के जैसे है तो वो भैस का ही खाएं अगर वो गाय का घी खायेंगे तो बीमार हो जाएंगे. गृहस्थ जीवन व्यतीत करने वालों को यानि जो पहलवानी नही करते, कुश्ती नही लड़ते उनको गाय का ही घी खाना चाहिए अगर आपको पित्त के रोगों से बचना है.

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दूसरी चीज जो उन्होंने बताई है वह है त्रिफला, यह आंवला, हरद और बहेड़ा तीन चीजों का मिश्रण होता है जो पित्त, वात और कफ तीनों तरह के रोगों के लिए उपयोगी है लेकिन यह उपयोगी तब ही होगा जब इन तीनों फलों का अनुपात 1:2:3 हो इसका सेवन अगर दिन सुबह लें तो यह पोषक के रूप में काम करेगा और अगर रात में लें तो यह आपके लिए आयुर्वेदिक दवा के रूप में काम करेगा

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