लखनऊ : रेलवे ने बांद्रा से चलने वाली अवध एक्सप्रेस के लोको पायलट से 2245 किलोमीटर तक एक प्लास्टिक के स्टूल पर बैठा कर ट्रेन चलवा दी। ट्रेन जब लखनऊ पहुंची तो साथी लोको पायलट भी ये नजारा देख कर दंग रह गए। ये पहला वाक्या नहीं है। इससे पहले हावड़ा जम्मू स्पेशल ट्रेन के इंजन की फटी हुई सीट पर गुम्मे रख कर लोको पायलट से ट्रेन चलवाई जा चुकी है। यात्रियों को उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाने वाले लोको पायलट ही सबसे बदहाल स्थिति में हैं। 50 से 58 डिग्री तक तापमान में ट्रेन संचालन लोको पायलट को खोखला कर रहा है तो सुविधाओं की कमी इन्हें पूरी तरह से तोड़े दे रही है। अभी दो दिन पहले बांद्रा से मुजफ्फरपुर जाने वाली ट्रेन 19039 के लोको संख्या 22810 में लोको पायलट के बैठने वाली कुर्सी की जगह पर लाल रंग का एक स्टूल रखा गया था। इस पर बैठ कर लोको पायलट ने बांद्रा से मुजफ्फरपुर तक सफर पूरा किया। रेल कर्मचारियों के मुताबिक इंजन में लगी सीट खराब हो गई थी। वर्कशाप पर उसे बदलने के बजाए पूरी ही उखाड़ कर निकाल दी और उसकी जगह एक स्टूल डाल दिया गया। उस स्टूल पर बैठ कर लोको पायलट बांद्रा से लखनऊ तक ट्रेन लेकर आया और उसके बाद मुजफ्फरपुर लेकर गया। ऐसा ही जम्मू से हावड़ा जाने वाली स्पेशल ट्रेन 04606 के लोको संख्या 28742 के लोको पायलट के साथ किया जा चुका है। लोको के अंदर ड्राइवर की सीट नीचे की ओर धंस गई थी। उसे बदलने के बजाए सीट पर ईटें रख कर उसे ऊंचा कर दिया गया। पूरे रास्ते लोको पायलट ने खड़े खड़े ही ट्रेन चलाई। रेलवे की लोको वर्कशाप सफेद हाथी साबित हो रही है। मरम्मत के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जा रहा है। ऑल इंडिया लोको रनिंग एसोसिएशन के अनुसार पूर्वोत्तर रेलवे के सभी मंडलों के 80 प्रतिशत लोको से पंखे तक गायब हो चुके हैं। भीषण गर्मी में लोको पायलट बिना पंखे के ट्रेन चलाने को मजबूर हैं। यही नहीं, जिन डबल कैब लोको में रेलवे ने एसी लगाए थे, उनमें से एसी भी निकाल लिए गए हैं। इसको लेकर लोको पायलट आंदोलन करने की तैयारी में हैं। ऐसा संभव तो नहीं लेकिन फिर भी इसकी जांच कराई जाएगी। ये भी हो सकता है कि सीट खराब होने की वजह से उसे हटा कर स्टूल रखा गया हो। सीपीआरओ पूर्वोत्तर रेलवे संजय यादव ने कहा, जहां तक पंखे गायब होने की बात है तो ये गंभीर विषय है। इसकी जांच होगी।