फिर दिखे नीतीश के विद्रोही तेवर, इस बयान के बाद सतर्क हुई भाजपा
![नीतीश के विद्रोही](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2018/06/Nitish_Kumar.jpg)
बिहार के मुख्यमंत्री ने सोमवार को कहा कि देश में वोट के किए जातीय और संप्रदायिक तनाव का माहौल बनाया जा रहा हैं। लेकिन नीतीश का कहना था कि उनका विश्वास है कि काम के आधार पर वोट मांगना चाहिए, इसलिए वो वोट की चिंता नहीं वोटर को चिंता करते हैं। नीतीश पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में उनके साथ केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान भी मोजूद थे।
भाषण के दौरान नीतीश ने साफ-साफ कहा कि कुछ लोग समाज में टकराव का माहौल पैदा करना चाहते हैं, लेकिन उससे किसी समस्या का हल नहीं होगा। नीतीश के रूख से साफ है कि वो अपने सहयोगी भाजपा के टकराव की राजनीति से इत्तेफाक नहीं रखते।
दरअसल जदयू की राजग में घरवापसी के बाद पहला मतभेद रामनवमी जुलूस में हुई हिंसा के बाद सामने आया था। तब नीतीश ने पीएम मोदी के सामने कहा था कि विकास और स्वच्छता के साथ साथ शांति और सद्भाव भी जरूरी है। इसके बाद कभी नोटबंदी का समर्थन करने वाले नीतीश ने इस मामले में यू टर्न लिया। फिर पीएम फसल बीमा योजना पर सवाल उठाते हुए अपने सूबे के लिए अलग से योजना शुरू की। उन्होंने निर्मल गंगा-अविरल गंगा योजना को पूरी तरह से फ्लॉप करार देने के साथ ही सड़क निर्माण क्षेत्र में आंकड़ेबाजी करने का भी आरोप लगाया।
भाजपा की चिंता यह है कि भले ही नीतीश ने अकेले दम पर चुनाव लड़ने की स्थिति में हमेशा मुंह की खाई हो, मगर उनका किसी दल के साथ चलने से सियासी स्थिति में बड़ा बदलाव आता है। मसलन, भाजपा के साथ नीतीश ने राजद शासन को दो बार उखाड़ फेंका तो बीते विधानसभा चुनाव में उसी राजद के साथ मिलकर भाजपा को तीसरे स्थान पर रहने के लिए मजबूर कर दिया। भाजपा नीतीश के साथ राजद के कड़वे संबंध का लाभ उठाना चाहती है। पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि विकल्पहीनता की स्थिति में नीतीश पर दबाव बनाया जा सकता है। मगर जदयू की ओर से इस आशय के कोई संदेश नहीं मिल रहे।